संवाददाता।
कानपुर। रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण शुरू हो गया है। लेकिन जमीन अधिग्रहण में दो विभागों के बीच विवाद हो गया है। दरअसल, रिंग रोड में वन विभाग की 5 हेक्टेअर जमीन जा रही है। नए नियमों के मुताबिक वन विभाग को उतनी ही जमीन कहीं और देनी होगी। लेकिन एनएचएआई ने जमीन की उपलब्धता होने के कारण जमीन देने से इंकार कर दिया है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रशांत दुबे के मुताबिक एनएचएआई के पास कोई लैंडबैंक नहीं होती है। ऐसे में वन विभाग को जमीन देना संभव नहीं है। शासन को लेटर भेजा गया है। राज्य सरकार ही वन विभाग को जमीन उपलब्ध करा सकती है। कानपुर और उन्नाव के बीच 5 हेक्टेअर जमीन वन विभाग की रिंग रोड में जाएगी। शासन में बैठक होनी है, जल्द इस पर फैसला होगा। किसी भी सरकारी निर्माण में अगर वन विभाग की जमीन जाती थी तो वन विभाग को जमीन की दोगुनी रकम देने का नियम था। लेकिन इस नियम में संसोधन कर दिया है। जिसके बाद अब वन विभाग को जमीन के बदले जमीन ही दी जाएगी। ताकि दोबारा से जंगल उस जमीन पर तैयार की जा सके। जिससे कि वन क्षेत्र में कमी न हो। रिंग रोड को धरातल पर उतारने के लिए प्रथम व चौथे चरण का भूमि अधिग्रहण कार्य पूरा होने के बाद अब मुआवजा वितरण किया जा रहा है। प्रथम व चौथे चरण के काम का टेंडर राज कंस्ट्रक्शन को मिला है। 15 सितंबर तक एनएचएआई और कंपनी में एग्रीमेंट हो जाएगा। इसके बाद अक्टूबर माह से इन दोनों चरणों का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। रिंग रोड का निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) का महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। 93.20 किलोमीटर लंबी रिंग रोड को एनएचएआई ने चार चरणों में क्रमश: मंधना से सचेंडी, रमईपुर से आटा व आटा से मंधना तथा सचेंडी से रमईपुर में बांटा है। एनएचएआई पहले चरण में मंधना से सचेंडी तथा चौथे चरण में सचेंडी से रमईपुर के लिए भूमि अधिग्रहण कर किसानों को मुआवजा बांट रहा है। पूरी रिंग रोड पर दो तरह के 41 अंडर पास बनाए जाएंगे। नौ आरओबी व सात फ्लाई ओवर बनेंगे। रिंग रोड पर प्रवेश करने के लिए एनएचएआई ने 11 स्थान चिह्नित किए हैं। भौंती, कानपुर-शिवली रोड, सिंहपुर चौराहे से बिठूर रोड, शुक्लागंज से उन्नाव रोड, जाजमऊ पुल, चकेरी, उन्नाव, रमईपुर से घाटमपुर रोड के साथ डिफेंस कारिडोर व ट्रांसगंगा सिटी से रिंग रोड पर प्रवेश करने की सुविधा रहेगी।