September 8, 2024

संवाददाता।
कानपुर।
नगर में पहुंचे केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह कानपुर पहुंचे और जाजमऊ स्थित सीईटीपी का निरीक्षण किया। गजेंद्र सिंह शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कुंभ से पहले गंगा आचमन लायक होंगी। मंत्री ने कहा कि मैं गर्व से कह सकता हूं कि 2025 तक गंगा नदी में एक बूंद अशुद्ध जल नहीं गिरेगा। कुंभ आने तक यह परिस्थिति कर देंगे, कुम्भ आने वाले श्रद्धालु मां गंगा के अविरल व निर्मल जल से स्नान कर सकेंगे। गंगा की सहायक नदियों की सफाई के लिए इस बार 100 करोड़ रुपए बजट रखा गया है। जाजमऊ के वाजिदपुर प्लांट में पूजा-अर्चना कर नवनिर्मित 20 एमएलडी के सीईटीपी ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। उन्होंने अफसरों से इसका प्रॉसेस भी समझा देखा। उन्होंने कहा कि मां गंगा की अविरलता व निर्मलता के सम्बन्ध में प्रश्न चिन्ह खड़े किए जाते तब कानपुर का सीसामऊ नाला इसका पिक्चर, व्यूजवल दिखाया जाता था। लेकिन आज वो सीसामऊ का नाला जो 14 करोड़ लीटर पानी रोज गंदा सीवरेज का गंगा में छोड़ता था, आज वो एक पिकनिक स्पाट जैसा बन गया है। इस दौरान टेनरी वेस्ट से पूरी प्रक्रिया से बाद निकले पानी की गुणवत्ता देखी और प्लांटेशन भी किया। उन्होंने कहा कि एक साल बाद वह फिर आएंगे। तब तक पूरे परिसर में हर जगह प्लांटेशन होना चाहिए। निरीक्षण के बाद वह मीडिया से रूबरू भी हुए। इस दौरान उन्होंने सरकार की उपलब्धियां गिनाई। नमामि गंगे परियोजना से निर्मित हुए ट्रीटमेंट प्लांट की बारीकियां से रूबरू हुए और अधिकारियों से बात की। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि 2025 प्रयागराज कुंभ के पहले गंगा को आचमन के लायक पूर्ण तरीके से शुद्ध कर लिया जाएगा। इसे लेकर केंद्र सरकार से राज्य सरकार तक नमामि गंगे परियोजना के तहत अलग-अलग ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से गंगा को शुद्ध करने में लगा है। कभी-कभी लेदर इंडस्ट्री को स्नान या अन्य वजह से बंद करना पड़ता है। इसको देखते हुए लेदर इंडस्ट्री को आने वाले 2025 तक पूर्ण रूप से गंगा में सीधे गिर रहे सभी नालों को बंद किया जाएगा। इसके लिए सरकार 100 करोड़ की परियोजना लाकर इन नालों को भी बंद करने का काम करेगी। वहीं, मीडिया के प्लांट के पास गिर रहे एयरफोर्स चोर नाले सरीखे सवालों पर चुप्पी साध ली। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा के पानी का गुणवत्ता का स्तर इससे समझाया जा सकता है कि जहां पूर्व में जल आचमन के लायक नहीं होता था। वहीं अब इसमें गुणवत्ता सुधार के बाद मछलियां सरीखे जलीय जीव बढ़ने लगे हैं। अब इसमें डॉल्फिन भी खेलती दिखतीं हैं। बोले कि पूर्व सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। 

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