October 18, 2024

संवाददाता।
कानपुर। नगर के मेडिकल कॉलेज में बनी नई टीबी लैब टेक्नीशियन न होने के कारण नगर के व आसपास के करीब 18 जिलों के मरीजों के लिए दो माह से बंद पड़ा है। यहां पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आलोक रंजन ने जो टेक्नीशियन भेजे भी वह इस काम के लिए निपुण नहीं थे। इस कारण टीबी मरीजों को यहां की लैब का फायदा नहीं मिल पा रहा है। यहां पर टीबी मरीजों की कल्चर जांच कानपुर मेडिकल कॉलेज में ही होगी। इसके लिए संस्थान में 64 लाख की लागत से लैब तैयार की गई है। लैब में आधुनिक मशीनों से मरीजों की बीमारी की जांच की जाएगी। यह लैब बनकर तैयार हो चुकी है। स्टेट टीबी संयुक्त निदेशक शैलेंद्र भटनागर ने प्रदेश के कई जिलों में इस लैब को खोलने का निर्णय लिया था। इसमें से लखनऊ में पहले से यह जांच चल रही थी। इसके अलावा झांसी, सैफई, गोरखपुर, प्रयागराज व कानपुर में इस लैब को खुलना था। इस लैब में फालोअप लिक्विड कलचर व टीबी कल्चर की संयुक्त जांचे होंगी। इसके लिए लैब में तीन सीनियर टेक्निकल, एक माइक्रोबायलॉजिस्ट, एक डाडा इंट्री आपरेटर की नियुक्ति भी फरवरी माह में की जानी थी। सीएमओ कार्यालय की तरफ से जो टेक्नीशियन लैब के लिए गए उनकी चार दिन की ट्रेनिंग आगरा में होनी है। वहां से ट्रेनिंग लेने के बाद ही टेक्नीशियन इस लैब में काम कर पाएंगे। जब टेक्नीशियन की नियुक्ति की गई और उन्हें ट्रेनिंग के लिए भेजा गया तो वह आगरा पहुंचे ही नहीं। ट्रेनिंग प्रोग्रान 12 से 16 फरवरी को था। बाद में कानपुर मेडिकल कॉलेज को पता चला कि यह टेक्नीशियन इस ट्रेनिंग को लेने के लिए पात्र नहीं हैं। कानपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि लैब पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुकी है। जल्द ही शुरू करने की कवायत चल रही है। मार्च में जनता के लिए इसे खोल दिया जाएगी। यहां पर आधुनिक मशीनों के माध्य से जांच की जाएगी। इसकी रिपोर्ट भी काफी अच्छी आती है। जैसे ही सभी पदों में भर्ती हो जाएगी वैसे ही काम भी शुरू हो जाएगा। वो सभी जांच यहां होंगी जो लखनऊ केजीएमयू में होती थी। हालांकि अभी यहां पर जांच का शुल्क निर्धारित नहीं हुआ है। इस लैब में मिजिट मशीन, जीटी ब्लाक, पीसीआर समेत कुल 40 मशीनें लगाई गई है। यह मशीन हाई क्वालटी की है। मिजिट मशीन में एक बार में कुल 960 जांच होंगी। इस मशीन की रिपोर्ट 42 दिनों में आ जाती है। अभी यह सैंपल लखनऊ जाते हैं। यहां पर करीब दो से तीन महीने का समय लगता है। हर सैंपल की जांच इस मशीन से कर के देखा जाता है कि मरीज में दवा के बाद किस तरह से परिवर्तन आ रहा है। इससे मरीजों को उपचार भी बेहतर मिल सकता है। यह मशीन निरंतर 24 घंटे तक काम करती रहती है। लैब में बॉयो सेफ्टि कैबिनेट भी बनाया गया है। यहां पर एयर के माध्यम से फैलने वाली सभी प्रकार की बीमारियों की जांच की जाएगी। जैसे कि कोरोना, इबोला, टीबी विभिन्न बीमारियों की जांच होगी। यहां पर टेक्निशियन पूरी पीपीई कीट पहनकर जांच करेंगा। अंदर की दूषित हवा बाहर फिल्टर होने के बाद वातावरण में मिलेगी। इससे बाहर की हवा भी दूषित नहीं होगी। अभी कानपुर से रोजाना कम से कम 50 से 100 सैंपल लखनऊ जांच के लिए भेजे जाते है। लखनऊ लैब में लोड अधिक होने के कारण यहां पर जांच रिपोर्ट दो से तीन माह में मरीज के पास तक आ पाती है। लेकिन अब कानपुर में लैब बनने से यहां के आसपास के करीब 18 जिलों के मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। मरीजों को जांच रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

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