संवाददाता।
कानपुर। नगर में मेडिकल कालेज के एलटी-3 हाल में एचआईवी टेस्टिंग की नई तकनीक से अवगत कराने के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग की ओर से बुधवार को डिस्ट्रिक लेवल एचआईवी इक्वास कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला, विभागाध्यक्ष डॉ. सुरैया खानम अंसारी, डॉ. मधु यादव, डॉ. विकास मिश्रा, जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. आरपी मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। डॉ. विकास मिश्रा ने बताया कि एचआईवी जांच किस तरह से की जाती है। सबसे पहले टेक्नीशियन को खुद को बचाते हुए एचआईवी संक्रमित का सैंपल लेना चाहिए। इसके बाद आधुनिक विधियों से एचआईवी की जांच की जाती है। कार्ड, एलाइजा व आरएनए पीसीआर की जांच की जाती है। अब काफी एडवांस टेस्ट करने की मशीनें आ चुकी हैं। डॉ. सुरैया खानम अंसारी ने बताया कि एचआईवी एक संक्रमित बीमारी है, जो स्वस्थ इंसान में कुछ कारणों से होती है। लैबों में एचआईवी की जांच करने से पहले सभी बचाव के तरीके अपनाए जाते हैं, चाहे वो डॉक्टर हो या टेक्नीशियन। इस कार्यक्रम में 7 जिलों के 35 आईसीटीसी व एचटीसीएस सेंटर के लैब टेक्नीशियनों द्वारा प्रतिभाग किया गया। इस मौके पर हैलट प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके सिंह, डॉ. रोशनी अग्रवाल, डॉ. राजेश्वर सिंह, डॉ. आर सुजाता, इस्तफा हुसैन खान आदि लोग मौजूद थे। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.संजय काला ने लैब टेक्नीशियनों को बताया कि किसी भी मरीज का सैंपल लेते वक्त विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि जरा सी लापरवाही की वजह से वह खुद भी एचसीवी व एचआईवी की गिरफ्त में आ सकते है, जिसका परिणाम पूरी जिंदगी भुगतना पड़ सकता है। एचआईवी की वैक्सीन अभी बनी है। ऐसे में परिवार के सदस्यों को दिक्कतें होती है। ग्लब्स न पहनना, मास्क न लगाना और एप्रेन आदि जरूरी चीजें न धारण कर ऐसे ही मरीजों का इलाज शुरू करना डॉक्टरों व स्टॉफ को कई तरह के संक्रमण व बीमारी से ग्रस्त कर देते हैं। कब और किस मरीज की वजह से वह संक्रमित हुए, इसकी भी जानकारी नहीं हो पाती है। इसके साथ ही कई लैब टेक्नीशियन भी लापरवाही बरतने पर एचआईवी एचसीवी जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाते है।