September 8, 2024

संवाददाता।
कानपुर। नगर के पुराने क्षेत्रों में मानचित्र स्वीकृत करने से पहले केडीए को नगर निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेनी होगी। लगभग तीन वर्षों से यह बंद था। जिससे नगर निगम को मलबा, नामांतरण, गृहकर और जलकल राजस्व की हानि हो रही थी। महापौर प्रमिला पांडेय ने कुछ महीनों पहले इसकी शिकायत सीएम को की थी, जिसके बाद मंडलायुक्त ने केडीए और नगर निगम के अफसरों के साथ बैठक कर नये निर्देश जारी कर दिए हैं। नगर निगम को इस मद में करीब दो करोड़ रुपए की सालाना आय बढ़ेगी। वहीं लोगों की जेब पर ये एनओसी आर्थिक बोझ भी बढ़ाएगी। ऑनलाइन भवन योजना अनुमोदन प्रणाली प्रक्रिया में शासन के निर्देश पूरा न करने पर महापौर प्रमिला पांडेय ने मुख्यमंत्री के साथ ही मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र से शिकायत की थी, और मामले में केडीए पर कार्रवाई करने की मांग भी की। शासनादेश है कि भवनों के मानचित्र स्वीकृति करने में पहले नगर निगम की एनओसी ली जाए। लेकिन इसके विपरीत केडीए कार्य कर रहा था। करीब तीन वर्षों से नियमों का पालन न करने की वजह से अवस्थापना सुविधाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। मलबा शुल्क, नामांतरण, गृहकर और जलकल के रूप में नगर निगम को राजस्व की बड़ी हानि हो रही थी। अब मंडलायुक्त ने केडीए को एनओसी लेने के निर्देश दिए हैं। मंडलायुक्त अमित गुप्ता ने निर्देश दिये कि प्राधिकरण को 6.7.2004 के शासनादेश के तहत पुराने निर्मित क्षेत्र में अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने का प्रावधान है। मंडलायुक्त ने केडीए को निर्देश दिए कि महायोजना में चिह्नित पुराने निर्मित क्षेत्र में मानचित्र स्वीकृत करते समय नगर निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना जरूरी होगा। इसके साथ ही स्वीकृत मानचित्रों की सूची मुख्य नगर नियोजक द्वारा सॉफ्ट प्रति में नगर निगम को भी ईमेल के माध्यम से देनी होगी। नये क्षेत्रों में यह बाध्यता नहीं होगी।महापौर ने जब शासन को शिकायत की तो मंडलायुक्त ने दोनों विभागों के बीच मध्यस्थता कर निर्णय निकाला है। नगर निगम के अनुसार कई क्षेत्रों में नगर निगम के फुटपाथ के ऊपर ही निर्माण हो रहे हैं। छज्जा भी बढ़ाया जा रहा है। लेकिन, नगर निगम से एनओसी नहीं ली जा रही है। मलबा शुल्क नहीं जमा करने से नगर निगम को लगातार हानि हो रही है। पूर्व में वीसी ने शुल्क पर रोक लगाई थी। जिसके बाद से ही नगर निगम फिर से मलबा शुल्क वसूलने के लिये प्रयास कर रहा था। 

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