संवाददाता।
कानपुर। नगर से फरार चल रहे एक लाख के इनामी भाजपा नेता आशु दिवाकर उर्फ प्रियरंजन को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। वहीं, हाईकोर्ट में एफआईआर रद्द करने की याचिका भी कोर्ट ने खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि 7 करोड़ की जमीन को 25 लाख में लिखाना ये कोई छोटी बात नहीं है। वहीं याचिका खारिज होने के बाद पुलिस ने आशु दिवाकर के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल ने बताया कि फरार आशु दिवाकर उर्फ प्रियरंजन पर पुलिस ने 1 लाख का इनाम घोषित कर दिया है। एक महीने से वह फरार चल रहा है। इससे पूरी पार्टी की फजीहत हो रही है। इस विषय को उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के सामने रखा था। प्रदेश अध्यक्ष की सहमति के बाद भारतीय जनता पार्टी से आशु की सदस्यता खत्म कर दी गई है। 1 महीने से आशु दिवाकर फरार चल रहा था, लेकिन पार्टी ने कोई सुध नहीं ली। अब एक लाख का इनाम घोषित होने के बाद उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। वहीं, दूसरी तरफ आशु दिवाकर ने हाईकोर्ट में उसके खिलाफ चकेरी थाने में दर्ज एफआईआर को खारिज करने की याचिका दखिल की थी। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। मंगलवार रात को हाईकोर्ट का आर्डर ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड किया गया। जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा और जस्टिस विवेक कुमार सिंह की बेंच ने याचिका पर आदेश दिया है। चकेरी थाने की पुलिस अब फरार आशु दिवाकर के खिलाफ अब धारा-82 और 83 यानी कुर्की का नोटिस चस्पा करने और कुर्की करने की कार्रवाई शुरू कर देगी। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर फैसला नहीं होने के चलते अभी तक कुर्की की कार्रवाई अटकी हुई थी। ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि हाईकोर्ट में दाखिल याचिका अब खारिज हो गई है। जल्द ही फरार भाजपा नेता के घर कुर्की की कार्रवाई की जाएगी। उसकी तलाश में पुलिस की कई टीमें छापेमारी भी कर रही हैं। भाजपा नेता आशु दिवाकर के खिलाफ 9 सितंबर को एफआईआर दर्ज हुई थी। इसके बाद से वह फरार चल रहा और कानपुर पुलिस उसकी अरेस्टिंग नहीं कर पा रही है। सेशन कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक जाने का पुलिस ने पूरा मौका दिया। जब उसे कहीं से राहत नहीं मिली तो पार्टी ने भी उसे बाहर का रास्ता दिखाया। अब पुलिस को भी मजबूरी में फरार भाजपा नेता के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई करनी पड़ेगी। क्यों कि भाजपा नेता को कहीं से भी राहत नहीं मिली है। एक महीने बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। फरार चल रहे भाजपा नेता को सेशन कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक कहीं भी राहत नहीं मिली। पुलिस ने भी उसे एक महीने तक का मौका दिया, लेकिन कहीं से भी राहत नहीं मिली। अब उम्मीद है कि आशु दिवाकर सरेंडर कर सकता है। क्यों कि उसके पास अब बचने का कोई भी विकल्प नहीं मौजूद है। पुलिस को भी मजबूरी में कुर्की की कार्रवाई करनी पड़ेगी। भारतीय जनता पार्टी ने भले ही आशु दिवाकर को 1 लाख का इनामी होने के बाद पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, लेकिन अभी भी आशु दिवाकर उत्तर प्रदेश बाल आयोग सदस्य है। जबकि पीड़ित परिवार लगातार उसे पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन एक महीने बाद भी उसे हटाया नहीं गया है।