पुलिस और फॉरेंसिक टीम की जाँच गहनता से जारी, दोषी पहुचेंगे सलाखों के पीछे।
संवाददाता।
कानपुर। नगर में तेज धमाका घनी आबादी सकरी तंग गलियों के बीच कंघी मोहाल, लोगो की चीखपुकार और पड़ोसियों में अफरा तफरी के बीच डायल किया गया 112 नंबर। पिछले दिन विश्ववार्ता ने खबर प्रकाशित करी थी जिसमे बताया गया था कि कंघी मोहाल में एक मकान की तीसरी मंजिल तेज धमाके के साथ धराशायी हो गई थी। मलबे में दबे परिवार के तीन लोगों को गंभीर हालत में बाहर निकालकर हैलट अस्पताल भिजवाया गया था। घटना में धमाका इतना तेज था कि उसकी गूंज दूर दूर तक सुनाई दी थी। जिसकी वजह से कई थानों की पुलिस फ़ोर्स मौके पर पहुँची थी। घंटो की गहरी छानबीन के बाद जांच में कुछ स्पष्ट न हो पाने की स्थिति में फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया। टीम ने घंटो की अथक मेहनत के बाद जांच में ये पाया कि दिवालों के मलवे में बारूद के कण संलिप्त है। जिससे पुलिस का नजरिया बदल गया है। पुलिस का कहना है कि घटना में संलिप्त अपराधी जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे। क्षेत्रीय लोगो मे अटकलें उठ रही हैं कि: क्या प्रशासन द्वारा घोषित गैंगस्टर बाबा बिरयानी के बिल्डर सिंडिकेट ने किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए विस्फोटक इकट्ठा कर रखा था? क्योकि घटना स्थल के ही करीब 200 मीटर दूरी पर प्राचीन राम जानकी मंदिर स्थापित है। जो साल 1968 में मुख्तार के पिता मोहम्मद इरशाद अहमद उर्फ बाबा, बेकनगंज स्थित राम जानकी मंदिर की जमीन पर साइकिल का पंचर बनाते थे। मुख्तार भी पिता के साथ काम करता था। इसके बाद उसने बिस्किट, बंद और मिठाई की छोटी सी दुकान खोली। मुख्तार बाबा ने 1992 के दंगों के बाद खूब कमाई की। मुख्तार ने हिस्ट्रीशीटर लाला हड्डी के एक खास साथी के साथ मिलकर प्रॉपर्टी का काम भी शुरू किया। पुराने मकानों विवादित जमीनों पर कब्जा कर उसे बेचना शुरू कर दिया। इस दौरान कई शत्रु संपत्तियों को भी बेचा। मुख्तार बाबा उस वक्त के शातिर गैंग रफीक शफीक से जुड़ गया था। पुलिस के अनुसार कई संपत्तियां डी2 गैंग के गुर्गों की मदद से मुख्तार ने खाली भी करवाई थी। जिसमे से एक संपति के कागजों में हेरफेर कर बेगमगंज में एक शत्रु सम्पत्ति जमीन पर कब्जा कर बाबा स्वीट्स के नाम से होटल खोल लिया। धीरे-धीरे उसने बाबा बिरयानी का अपना एक ब्रांड खड़ा कर लिया। जिसके नगर में मॉल से लेकरके धनाड्य क्षेत्रों में अपने ब्रांड की श्रृंखला खड़ी कर दी थी। मुख्तार बाबा को बुलंदी तक पहुंचाने में एक बैंक अधिकारी का भी हाथ रहा। चमनगंज की एसबीआई शाखा में कार्यरत एक अधिकारी ने नियम विरुद्ध उसे प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लाखों का लोन दिया। पहले उसने गम्मू खां का हाता में 300-400 गज का मकान खरीदा था। जिसे कटवाकर 50-50 गज के प्लॉट बनाए और उन्हें बेचकर पैसा कमाया। इस दौरान मुख्तार बाबा ने डी2 गिरोह की मदद से कई मकान खाली करवाए। मुख्तार ने बाबा स्वीट हाउस के नाम से दुकान खोली और उसकी बिरयानी इतनी सफल हो गई कि लोग उसे बाबा बिरियानी के नाम से जानने लगे। पुलिस के मुताबिक बाबा स्वीट हाउस शत्रु संपत्ति है। और जब पुलिस ने इस विषय पर अपनी जांच आगे बढ़ाई तो मुख्तार को अपना साम्राज्य डगमगाता दिखा तो उसने अपने मास्टरमाइंड का प्रयोग करते हुए लोगों का और प्रशासन का ध्यान हटाने के लिए कानपुर हिंसा के मामले में हयात को फंडिंग कर दी। बताया जाता है कि बाबा बिरयानी का नाम देश ही नहीं विदेश में भी है। क्योंकि बिरयानी तो नगर में कई जगह बिकती है और बाबा बिरयानी के पहले से भी बिक रही है। लेकिन बाबा के बिरयानी मसाले में पता नही क्या नशा है कि जो एक बार खा लेता है वो बिरयानी का दीवाना हो जाता है। बाहर से आने वाले लोग खासतौर से बाबा की बिरयानी खाने यहां पहुचते थे। बाबा बिरयानी बाहर भी भेजी जाती थी। कानपुर में शूटिंग करने आने वाले बॉलीवुड स्टार्स के जुबान पर भी बाबा बिरयानी का स्वाद सिर चढ़कर बोलता रहा और बड़े नेता और अधिकारियों के स्वादिष्ट व्यंजनों में भी ये शामिल होती रही। बाबा की धमकियों के शिकार निवासियों ने बताया कि खुफिया एजेंसियों द्वारा गहन जांच की आवश्यकता पर बल दिया जाए, क्योंकि कुछ भ्रष्ट पुलिस अधिकारी माफिया बिल्डर की संलिप्तता को छिपाने में सहयोग कर सकते है।