संवाददाता।
कानपुर। नगर के घाटमपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हो चुकी है। यहां पर चिकित्साधीक्षक जानकर भी अनजान बने रहते है। अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा यहां पर रोजाना आने वाले सैकड़ों मरीजों को भटकना पड़ता है। घाटमपुर नगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की ज्यादातर व्यवस्थाएं ध्वस्त हैं। यहां इमरजेंसी डॉक्टर व स्टाफ के भरोसे ही अन्य सारी सेवाएं हैं। दशकों बाद भी आज तक सीएचसी परिसर में ओपीडी मरीजों के लिए ना तो इंजेक्शन कक्ष है और ना ही ड्रेसिंग कक्ष है। सीएचसी में हेल्दी वेदर में भी औसतन 300 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। यहां कई मरीजों को बुखार आदि की समस्या पर डॉक्टर उन्हें इंजेक्शन लगाने की सलाह देते हैं। लेकिन पूरे ओपीडी परिसर में कही भी इंजेक्शन कक्ष मौजूद नहीं है। भटकते हुए मरीज इमरजेंसी ही पहुंच रहे हैं। जहां एक्सीडेंट, पुलिस मेडिकल लीगल जैसे कामों में व्यस्त कर्मी ओपीडी के मरीजों को इंजेक्शन लगाते हैं। यही हाल ड्रेसिंग का है। किसी भी जख्म का इलाज इमरजेंसी में ही होता है। स्टाफ की मानें तो यह सब कुछ अधीक्षक को सालों से पता है। लेकिन उनको यहां की बुनियादी समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। घाटमपुर चिकित्साधीक्षक डॉ. कैलाश चंद्र ने बताया कि इमरजेंसी में सभी सुविधाएं है। अलग से ड्रेसिंग कक्ष नहीं है। वहीं पर घायलों का इलाज होता है। लोगों को सुविधाएं दी जा रही है। सरकार जहां एक ओर अभियान चलाकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर कर रही है। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। घाटमपुर क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे चल रही है। डा. कैलाश चंद्रा ने बताया कि सीएचसी पर आने वाले लोगों को इमरजेंसी कक्ष में ड्रेसिंग इंजेक्शन आदि की सुविधाएं दी जाती है। वहीं पर घायलों का इलाज किया जाता है।अस्पताल में आने वाले मरीजों को इमरजेंसी में सुविधा मिलती है।