November 22, 2024

संवाददाता।
कानपुर।
नगर में अस्सी फ़ीट रोड के पास एक होटल में बच्चों के संक्रमण से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में दिल्ली, कोलकाता, मुरादाबाद से आए बाल रोग चिकित्सकों ने बताया कि किस तरह से हम बच्चों को संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार कर सकते हैं। उन्हें समय-समय पर हम अच्छी ट्रेनिंग दें और उन्हें सामाजिक बनाएं। इस कार्यशाला में चिकित्सकों ने देश भर में फैले तरह-तरह के संक्रमण और उनसे होने वाली दिक्कतों पर भी चर्चा की।कोलकाता से आए डॉ. जयदीप चौधरी ने बताया कि समय-समय पर वायरस अपना नेचर बदलता रहता है। संक्रमण वैसा ही होता है लेकिन उससे दिक्कते विभिन्न प्रकार की हर बार देखने को मिलती है। इसलिए हमेशा बच्चों के मामले में देरी न करते हुए उसकी जांच करानी चाहिए और उस हिसाब से उसका इलाज शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी बच्चे की शारीरिक क्षमता कमजोर नहीं होती है। बस इतना होता है कि बच्चे उस प्रोटोकॉल को पूरी तरह से अपना नहीं पाते हैं, जिस कारण उनको बार-बार संक्रमण होता है। उन्होंने कहा कि यदि बच्चे में संक्रमण है तो उसे बाहर जाने से रोके, यदि वह बाहर जाता है तो बच्चे बच्चे आपस में मिलते हैं और फिर दूरियां उतनी नहीं बना पाते हैं, जिस कारण संक्रमण एक दूसरे में तेजी से फैल जाता है। बच्चों के अंदर संक्रमण तेजी से अटैक करता है। कोरोना काल के बाद से बच्चों का अधिकतर स्कूली वर्क मोबाइल पर होने लगा है। डॉक्टर चौधरी कहते हैं कि यदि बच्चा मोबाइल पर ज्यादा समय दे रहा है तो उसके दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं है। सबसे पहली चीज बच्चों की आंखें कमजोर होगी, बच्चों के मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ेगा, बच्चा सामाजिक नहीं बन पाएगा। इसके अलावा यदि कोई चीज वह मोबाइल पर देखता है और गलत चीजों को अपने अंदर ग्रहण करता है तो उसका भी प्रभाव सबसे ज्यादा गलत पड़ता है तो इसलिए इसमें हमको सबसे पहले एक काम करना है कि परिजनों को बच्चों के सामने खुद मोबाइल कम से कम प्रयोग करना है। यदि बच्चे मोबाइल का प्रयोग कर रहे हैं तो वह आपकी देखरेख में ही करें, ताकि बच्चे को यह पता रहे कि हमारे मोबाइल को कोई और भी देख रहा है। मोबाइल देखने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करें, जब तक यह सीमा निर्धारित नहीं होगी तब तक बच्चे मोबाइल नहीं छोड़ेंगे। दिल्ली के डॉ. सुमित बत्रा ने बताया कि बच्चों को भरपूर मात्रा में आयरन वाली पौष्टिक चीज दें, जैसे कि बच्चों की डाइट में हरी सब्जियों को जरूर शामिल करें। यदि उनके शरीर में आयरन भरपूर मात्रा में रहेगा तो हर संक्रमण से लड़ने की उनके अंदर क्षमता रहेगी। आयरन की कमी शरीर में न होने दे प्रयास करें कि घर पर जो भी सब्जी बनाएं उसे लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। इस मौके पर मुरादाबाद के डॉ. शलभ अग्रवाल, कानपुर के डॉ. अरुण कुमार आर्या, डॉ. विवेक सक्सेना समेत कई चिकित्सक मौजूद रहे। 

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