संवाददाता।
कानपुर। नगर में सीएम ग्रिड योजना के तहत नगर की पांच सड़कों को बनाने में प्लास्टिक वेस्ट का प्रयोग किया जाएगा। इसके साथ ही सड़कों को बनाने के लिए फुल डेप्थ रेक्लेमेशन तकनीक का भी उपयोग किया जाएगा। यानि, पुरानी सड़क को उच्चीकरण करने के साथ ही सड़क की गिट्टी समेत अन्य चीजों का ही इस्तेमाल होगा। पूरे प्रदेश में इस तकनीक से सड़कें बनेंगी। इसको लेकर नगर निगम के मुख्य अभियंता और अधिशाषी अभियंताओं के साथ ही यूरिडा से जुड़े पुराने अधिकारियों की भी ट्रेनिंग दे दी गई है। यूरिडा अलग विभाग ही बनाया गया है। मुख्यमंत्री ग्रीन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम (सीएम ग्रिड्स अर्बन योजना) के तहत सड़क निर्माण और सुंदरीकरण होना है। शासन की ओर से योजना की पहली किस्त जारी की गई है। नगर विकास विभाग ने अरबन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट अथॉरिटी की स्थापना की है। इसके तहत यूरिडा सड़कों के विकास एवं रखरखाव के साथ ही नगरीय सड़क प्रबंधन प्रणाली को भी विकसित करेगी। साथ ही जरूरी रिसोर्सेज को जुटाने से लेकर नगरीय निकायों की वित्तीय स्थिति को सुधारने और रोड इंफ्रास्ट्रक्चर में नई तकनीक के इस्तेमाल को भी सुनिश्चित करेगी। इससे शहर में 145.5 करोड़ से बनने वाली सड़कों के काम भी जल्द शुरू होंगे। अर्बन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एजेंसी यूरिडा ने इसको लेकर सभी नगर निगमों के मुख्य अभियंता, अधिशाषी अभियंता, डीपीआर बनाने वाले तकनीकी अधिकारी को प्रशिक्षण दिलवाया है। प्रदेश के अन्य शहरों के लिए भी कुल 800 करोड़ का बजट है। कानपुर समेत प्रदेश के सभी 17 निकायों में लागू इस स्कीम के तहत अब पीडब्लूडी, सेतु निगम और राजकीय निर्माण निगम के रिटायर हो चुके कुशल इंजीनियरों को भर्ती किया जाएगा। उनकी देखरेख में ही कार्य पूरा होगा। कानपुर में इस योजना के तहत 5 सड़कों का निर्माण किया जाना है। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार प्रशिक्षण के दौरान आधुनिक रोड तकनीक, एफडीआर टेक्नोलॉजी, सड़क निर्माण में प्लास्टिक वेस्ट का प्रयोग एवं सीजीबीएम सीमेंट ग्राउटेड मैकेडम की जानकारी दी गई है। वहीं, सीएम ग्रिड की सड़कें यूरिडा के अधिकारियों की दिशा-निर्देश में होगा कार्य, इसके लिये पुराने अधिकारी के साथ ही आउटसोर्स कर्मचारी भी तैनात किए जाएंगे। नगर निगम के प्रवर्तन दल ने पिछले 4 वर्षों में 2,45,426 किलो डिस्पोजल, पानी के गिलास व अन्य प्रतिबंधित प्लास्टिक से बने सामान जब्त किए हैं। रोजाना गुजरात व अन्य जिलों से 10 टन प्रतिबंधित प्लास्टिक से बने सामान शहर या यहां होते हुए दूसरे शहरों को जाते हैं। एक अनुमान के तहत करीब 5 मीट्रिक टन प्रतिबंधित प्लास्टिक से बने सामान अकेले शहर में खपाए जा रहे हैं। वहीं, भऊसिंह डंप पर भी बड़ी मात्रा में प्लास्टिक वेस्ट जमा हुआ है। जिसका उपयोग सड़कों को बनाने में किया जाएगा। इन प्लास्टिक टुकड़ों को सड़क निर्माण में प्रयोग होने वाली गिट्टी में डालकर 150 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है। करीब एक घंटे की इस प्रक्रिया के बाद प्लास्टिक के टुकड़े गिट्टी के साथ उसी के आकार में चिपक जाते हैं। इसके बाद इस गिट्टी को तारकोल में मिलाया जाता है। मामले में नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन ने बताया कि सड़क निर्माण में कचरे में निकलने वाले प्लास्टिक का उपयोग करने से सड़क मजबूत होगी। प्लास्टिक कचरे से बनी सड़क पानी भी कम सोखेंगी। सीएम ग्रिड योजना से बनने वाली सड़कों में इस तकनीक का उपयोग करने को कहा गया है। इन सड़कों की लाइफ भी ज्यादा होगी।