संवाददाता।
कानपुर। कपड़ा कारोबारी मनीष कनोडिया के 16 साल के बेटे कुशाग्र की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई। इसका खुलासा करके भले ही पुलिस अपनी पीठ थपथपा रही है। लेकिन, खुलासे पर परिवार के लोगों ने ही सवाल उठाए। पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया है। वहीं, अपहरण-हत्याकांड के बाद पुलिस कमिश्नर के मौके पर नहीं आने पर सपा विधायक ने उन्हें घेरा। विधायक अमिताभ बाजपेई ने कहा कि कहां हैं कानपुर पुलिस कमिश्नर…? पूरा शहर दुखी और द्रवित है, लेकिन कमिश्नर साहब जाने कहां हैं? रात से पूरा दिन बीत गया, लेकिन कमिश्नर साहब दफ्तर से नहीं निकले। आचार्य नगर में रहने वाले कपड़ा कारोबारी मनीष कनोडिया के बेटे कुशाग्र की अपहरण के बाद 30 अक्टूबर की रात हत्या कर दी गई। कुशाग्र के पिता का कहना है कि पुलिस ने करीब 10 घंटे में अपहरण-हत्याकांड का खुलासा तो कर दिया। पुलिस की ओर से जारी प्रेस नोट में कहीं भी फिरौती के लिए छात्र कुशाग्र की हत्या का जिक्र नहीं है। पुलिस का दावा है कि ट्यूशन टीचर रचिता और कुशाग्र के बीच संबंध थे। जो कि टीचर के प्रेमी प्रभात शुक्ला को गवारा नहीं थे। इसी के चलते उसने अपने दोस्त शिवा उर्फ आर्यन के साथ साजिश रची। कुशाग्र की अपहरण के बाद हत्या कर दी। जबकि फिरौती लेटर में साफ-साफ 30 लाख रुपए फिरौती की बात लिखी है। लेकिन, पुलिस ने इस बात को नजर अंदाज कर दिया।परिवार के लोग बेटे की हत्या से पूरी तरह टूट गए हैं और सदमे में हैं। अब पुलिस ने उनके बेटे की मौत के बाद उसके चरित्र पर उंगली उठाई तो पूरा परिवार और मोहल्ले के लोगों के साथ ही व्यापारी समाज गुस्से में है। मृतक के चाचा सुमित, मां सोनिया और पिता समेत अन्य सभी का कहना है कि पुलिस ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए बेटे की ट्यूशन टीचर से संबंध की ओर केस को मोड़ने की कोशिश की है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। कुशाग्र महज 16 साल का था और टीचर उसकी दोगुनी उम्र की थी। पुलिस के पास दोनों के संबंधों को लेकर कोई साक्ष्य नहीं है। जबकि अपहरण के लिए हत्या फिरौती का लेटर सबसे बड़ा सबूत है, जिसे पुलिस ने नजरअंदाज करके केस को संबंधों में हत्या की ओर मोड़ने की कोशिश की है। वारदात की जानकारी मिलने के बाद कानपुर की आर्य नगर विधानसभा से सपा के फायरब्रांड एमएलए अमिताभ बाजपेई मौके पर पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले तो सरकार को घेरा, कहा कि भाजपा कहती है कि उत्तर प्रदेश में अपराधी साफ हो चुके हैं, जेल में, दुनिया छोड़ गए या प्रदेश छोड़ गए लेकिन कहां से नए अपराधी बन रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि घटना का अनावरण जो हुआ है कहीं न कहीं जो चौकीदार था उसकी समझदारी से हुआ है। सपा विधायक ने कहा- अगर पुलिस के भरोसे परिवारी के लोग रहते तो शायद घटना का खुलासा भी नहीं हो पाता। पुलिस की जांच का डायरेक्शन कहीं और चला जाता। इस समय ये हाल है कि कानपुर कमिश्नरेट में 15-16 आईपीएस अफसर तैनात हैं और कमिश्नर साहब जाने कहां हैं? इस जघन्य हत्याकांड से पूरे शहर के लोग दुखी और द्रवित हैं। लेकिन, कानपुर के कमिश्नर साहब परिवार से मिलने नहीं आए, किसी भी घटनास्थल पर नहीं गए। घटना का इंस्पेक्शन जो उनको करना चाहिए वो नहीं किया है। कानपुर की कमिश्नरेट पुलिस पता नहीं क्या कर रही है? जेसीपी से लेकर डीसीपी काम कर रहे हैं अच्छी बात है, लेकिन पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी नहीं है कि इतनी बड़ी घटना में मौके पर आकर मौका-मुआयना कर लें। परिवार के लोगों से बात कर लें। रात में नहीं आने के अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन दिन में भी नहीं आए। सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने कहा कि कानपुर में 15-16 आईपीएस अफसर तैनात हैं, इसके बाद भी कमिश्नरेट नहीं संभल रहा है। इससे एक बात तो साफ है कि ज्यादा जोगी मठ उजाड़…। पूरे पुलिस कमिश्नरेट का जो जोर है, चौराहे बंद करने पर, ट्रैफिक की वसूली पर है। दुकानें उजाड़ने और ठेले वाले को भगाने पर है। असल कानून व्यवस्था पर किसी का ध्यान नहीं है।