संवाददाता।
कानपुर। नगर में डेंगू मरीजों की संख्या दिन पर दिन नया रिकॉर्ड बना रही है। 24 घंटे में डेंगू मरीजों की बात करें तो 100 से ज्यादा की संख्या पार हो चुकी है। वहीं, सरकारी आंकड़ों की बात करें तो पिछले 24 घंटे में लगभग 60 मरीजों में डेंगू की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। अगर प्राइवेट पैथोलॉजी का आंकड़ा जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा 100 को पार कर जाएगा। कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 70% मरीज बुखार के पहुंच रहे हैं। मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. विशाल कुमार गुप्ता ने बताया कि लगभग सभी बुखार के मरीजों में डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। सबसे ज्यादा बुखार में मरीज को शरीर दर्द, लाल चकत्ते पड़ना, चक्कर आना, बीपी लो होना जैसी शिकायतें आ रही है। बहुत से मरीज इलाज में लापरवाही कर रहे हैं, जिसके कारण उनमें समस्याएं अधिक आ रही हैं या फिर जो मरीज मेडिकल स्टोर की दवाइयों का सेवन कर रहे हैं उन मरीजों को भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। डॉ. विशाल कुमार गुप्ता की माने तो बुखार के 60% मरीजों में चिकनगुनिया के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। इसके अलावा 20% मरीजों में डेंगू और 20% मरीजों में वायरल फीवर वाले लक्षण है। चिकनगुनिया में मरीज के हाथ पैर और जोड़ों में काफी दर्द होता है और वह चलने में असमर्थ रहता है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस समय जो वायरस अटैक कर रहा है। उसमें तेज बुखार आता है और इसके बाद मरीज के शरीर में तेज दर्द शुरू होता है। इसके अलावा अचानक से कमजोरी आना यह डेंगू के लक्षण होते हैं।यदि तेज बुखार के साथ शरीर के जोड़ों में दर्द हो और शरीर के अलग-अलग हिस्सों में लाल चकत्ते पढ़ने लगे तो यह लक्षण चिकनगुनिया के होते हैं और यदि केवल तेज बुखार आता है और शरीर में कमजोरी महसूस होती है तो यह लक्षण वायरल फीवर का होता हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस समय जो वायरस हवा में फैला है। इससे लोगों को तेज बुखार आ रहा है। ऐसे में मेडिकल स्टोर से दवा लेकर नहीं खानी चाहिए क्योंकि इस बुखार में आम दवा असर नहीं दिख रही है और बिना परामर्श लिए जो लोग दवा खा रहे हैं। उनका बीपी बहुत लो हो जाता है, जिसके बाद उनको मजबूरी में अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। यदि शुरू में ही डॉक्टरों की परामर्श लेकर दवा खानी शुरू करें तो इस बुखार को 5 से 6 दिन के अंदर कंट्रोल किया जा सकता है, नहीं तो यह बुखार डेढ़ से दो हफ्ते का समय ले लेता है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की माने तो इन दोनों उमस बहुत ज्यादा हो रही है और जब बरसात के बाद उमस बढ़ती है तो वैसे-वैसे मौसम के साथ-साथ मच्छर भी बढ़ने लगते हैं, जब मच्छर बढ़ते हैं तो यह ज्यादा लोगों पर अटैक करते हैं, जिसकी इम्युनिटी पावर कमजोर होती है। उसको वायरस जल्दी अटैक कर जाता है। यदि डेंगू वायरस ने अटैक किया तो मरीज को कम से कम एक हफ्ते का समय लग जाता है। दवा लगातार देने के बाद भी मरीजों में कमजोरी वह बीपी लो होने की शिकायत रहती है, जो मरीज दवा में लापरवाही कर रहे हैं, उनके फेफड़े, लीवर में इन्फेक्शन भी बढ़ रहा है। बहुत से मरीज ओपीडी में ऐसे भी आए हैं, जिन्होंने बाहर की दवा का सेवन किया। इसके बाद जब संक्रमण फेफड़ों में फैला तब उन्हें भर्ती करना पड़ा। डॉक्टर ने बताया कि यह वायरस इंसान से मच्छर के अंदर जाता है, जब कोई डेंगू मच्छर किसी इंसान को काटता है और फिर वह इंसान डेंगू की चपेट में आ जाता है। उसके बाद कोई मच्छर उस व्यक्ति को काटता है तो उस मच्छर में डेंगू वायरस आ जाता है और फिर वह मच्छर किसी अन्य आदमी को काटकर उसके अंदर डेंगू वायरस दे देता है। डेंगू मच्छरों की पहचान होती है कि यह ज्यादा ऊंचाइयों पर नहीं उड़ पाते हैं और यह रात में नहीं बल्कि दिन के उजाले में ही काटते हैं। डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि यदि वायरस से बचाना है तो सबसे पहले घर में रहे या बाहर, फुल आस्तीन वाले कपड़े पहन कर रहे। शरीर को पूरा ढक कर रखें। इसके अलावा अपनी शारीरिक क्षमता को मजबूत करें। बासी खाना बिल्कुल भी मत खाएं। हरी सब्जियां और जूस का सेवन करें, ताकि शरीर की यूनिटी मजबूत हो और वायरस जल्दी अटैक ना कर पाएं। डॉक्टर के मुताबिक घर के आस-पास यदि कहीं भी पानी जमा है तो उसे पानी में कीटनाशक दवाइयां का छिड़काव करें, क्योंकि डेंगू का मच्छर हमेशा रुके हुए पानी में पैदा होता है। इसलिए घर की छत पर गमले में पानी भरा हो तो उसे भी हटाए । अगर घर के गार्डन में कहीं पर पानी जमा होता है तो उस पानी को तुरंत निकल दें।