संवाददाता।
कानपुर। नगर में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत टैप किए गए नाले अब ओवरफ्लो होकर गंगा में गिर रहे हैं। परमिया नाला और गुप्तार घाट नाला टैप होने के बाद अब सीवेज ओवरफ्लो समस्या से जूझ रहे हैं। अब इन नालों पर नगर निगम बायोरेमिडिएशन करने की शुरुआत करने जा रहा है। जिससे गंगा में गंदगी को गिरने से कुछ हद तक रोका जाए। माना जा रहा है कि रोजाना करीब 5 लाख लीटर से ज्यादा सीवेज नदियों के जरिए गंगा और पांडु नदी में गिर रहा है। नगर निगम के पर्यावरण अभियंता आरके पाल के मुताबिक परमिया और गुप्तार घाट नाला टैप किए गए थे, लेकिन अब इनमें ओवरफ्लो की समस्या खड़ी हो गई है। इसकी वजह से गंगा और पांडु नदी दोनों में ही रोजाना करीब 5 लाख लीटर से ज्यादा सीवेज रोजाना नदियों में जा रहा है। माघ स्नान को देखते हुए नालों पर बायोरेमिडिएशन कराया जा रहा है। परमिया और गुप्तारघाट नाला पर इस बार बायोरेमिडिएशन कराया जाएगा। नेक्स्टजेन इंफ्रावर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड फर्म को काम दिया गया है। यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने नगर निगम को गंगा और पांडु नदी में गिर रहे नालों की रिपोर्ट भेजी है। जिसमें 10 नालों से सीवेज गिरने की बात कही गई है। गंगा नदी में रानीघाट, परमिया, गोलाघाट, सत्तीचौरा, डबका नाला और पांडु नदी में गंदानाला, हलवाखेड़ा नाला, अर्रा, सागरपुरी और पिपौरी नाला के जरिए सीवेज नदियों में जा रहा है। नगर निगम सभी पर बायोरेमिडिएशन करा रहा है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा में गिरने वाले 6 नाले 63 करोड़ रुपए से टैप किए गए थे। टैप नाले से भी धड़ल्ले से गंगा में रोजाना करोड़ों लीटर प्रदूषित पानी जा रहा है। परमट नाला भी गंगा में रोजाना गिर रहा है, जबकि इसे भी टैप किया जा चुका है। सीसामऊ नाला, परमिया नाला, नवाबगंज नाला, म्योरमिल नाला, गुप्तारघाट नाला और डबका नाला टैप किए गए थे। नवाबगंज, म्योर मिल, गुप्तारघाट और डबका नाला भी बीच-बीच में गंगा में गंदगी प्रवाहित कर रहे हैं। क्षेत्रीय लोग भी इसको लेकर अब काफी गुस्से में हैं। क्योंकि बदबू और गंदगी के बीच अब उन्हें फिर से जीना पड़ रहा है। वहीं टेंप्रेरेरी तौर पर टैप किए गए 5 नाले भी गंगा में रोजाना करोड़ों लीटर प्रदूषित पानी प्रवाहित कर रहे हैं।