संवाददाता।
कानपुर। नगर में हैंडीक्राफ्ट आइटम की डिमांड अब धीरे-धीरे लोगों में बढ़ रही है। पहले यह आइटम इतना चलन में नहीं हुआ करता था, लेकिन अब जब हैंडीक्राफ्ट आइटम की प्रदर्शनी लगती है तो लोग बड़ी संख्या में देखने आते हैं। आपका जितना अच्छा काम होगा, आपका आइटम भी उतना ही अच्छा होगा। यह बातें कानपुर में लगी क्राफरूट्स प्रदर्शनी में दूर-दराज से आए कारीगरों ने कही। उन्होंने कहा कि जब इसे करना शुरू किया था तब लोगों में उतना रुझान नहीं था जो अब देखने को मिलता है। बड़ोदरा की वीना तेज जरादी ने बताया कि 2005 में मेरी शादी तेज जरादी से हुई थी। उसके बाद मैंने अपने ससुराल वालों के लिए स्टोन की ज्वेलरी बनानी शुरू की थी। यह स्टोन मैं जयपुर और गुजरात से मांगाती थी। फिर एक बार मुझे 2014 में एक स्कूल में स्टॉल लगाने का मौका मिला। वहां पर मैंने स्टॉल लगाया तो इस ज्वेलरी को लोगों ने बहुत पसंद किया। वीना ने बताया कि उस स्टॉल में ज्यादा खरीदारी जरूर नहीं हुई थी, लेकिन लोगों ने हमारी चीज की तारीफ बहुत की थी। तब मुझे इस बात से ही सुकून था कि मेरी चीजों को लोगों ने बहुत पसंद किया। उस समय मुझे विश्वास आया था कि एक दिन यह चीज चलेगी जरूर। कई और जगह स्टॉल लगाया तो पूरी प्रदर्शनी में सिर्फ 30000 से 35000 रुपये तक ही आमदनी हो पाती थी, लेकिन पिछले 6 सालों से मैं क्राफ्ट रूट्स प्रदर्शनी में जुड़ी तो यहां पर आने के बाद हमारी ज्वेलरी को लोगों ने और भी ज्यादा सराहा। आज 1 लाख तक की स्टॉल में बिक्री हो जाती है। वेस्ट बंगाल निवासी इतू उपाध्याय ने बताया कि सन् 2000 में मैंने शौक शौक में 50000 रुपये लगाकर कपड़े में कढ़ाई का काम करना शुरू किया था। वह कपड़े अपने घर वालों के ही होते थे। इसके बाद धीरे-धीरे मेरी कढ़ाई को लोग पसंद करने लगे। फिर आसपास के लोग भी हमसे जुड़े और हम उनके लिए भी यह काम करने लगे। 2010 में मैंने प्रोफेशनल तौर पर इस काम को करना शुरू किया। कपड़े में मैं काथा वर्क और बाटिक वर्क का काम करती हूं। आजकल के लोगों में इन दोनों ही चीजों का काफी क्रेज देखने को मिल रहा है, लेकिन जिस समय मैंने शुरू किया था। उस समय इसकी क्या अहमियत है यह मुझे नहीं पता था। इतू उपाध्याय ने बताया कि मैं पिछले कई वर्षों से क्राफ्टरूट्स प्रदर्शनी में भाग लेती आ रही हूं। यहां पर आने के बाद मैंने देखा कि लोगों के अंदर हैंड वर्क चीजों को लेकर काफी उत्साह है। लोग इन चीजों में रुचि दिखाते हैं। अब धीरे-धीरे इसकी डिमांड भी बढ़ रही है। आज हमारे साथ 120 महिलाएं जुड़कर इस काम को कर रही है। हमारी खुद की दो दुकानें हैं। इसके अलावा साल का एक करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर हो गया है। उदयपुर के शैलेंद्र सिंह यशवाल ने बताया कि हमारी मां गुड्डी यशवाल पिछले 12 सालों से साधना संस्था के साथ मिलकर उसमें कढ़ाई का काम करती थी। यह एक समाज सेवी संस्था थी। उसमें बैग बनते थे, जिसमें मां कढ़ाई करती थी। 2021 में मां गुड्डी ने 2-3 लाख रुपए लगाकर खुद का काम शुरू किया। कई जगह पर क्राफ्टरूट्स के साथ मिलकर अपने स्टॉल भी लगे। वहां पर लोगों ने हमारी चीजों को बहुत पसंद किया, लेकिन जिस समय काम शुरू हुआ था उस समय यह उम्मीद नहीं थी कि हैंड क्राफ्ट को लोग आने वाले समय में इतना पसंद करेंगे। शैलेंद्र ने बताया कि जब मां ने यह काम शुरू किया तो हम लोग खुद ही 75 किलोमीटर दूर जाकर कपड़ा लाते थे । फिर खुद ही उसमें कढ़ाई किया करते थे। अब हमारे पास करीब 45 लोग जुड़ चुके हैं जो इस काम को करते हैं और 35 से 40 लाख का माल हमारे पास मौजूद है। हैंड वर्क की चीज अब लोगों के बीच पहुंच रही है। यही कारण है कि लोग अब इस चीज की अहमियत को समझने लगे हैं।