संवाददाता।
कानपुर। नगर मे जू का सफर 50 साल का पूरा हो चुका है। जू का स्वर्ण जयंती समारोह मनाया गया। कार्यक्रम में कई तत्कालीन डायरेक्टर इस मौके पर भाग लेने के लिए शहर में आए। उन्होंने अपने अनुभवों को लोगों के बीच साझा किया और किस तरह से चिड़िया घर में दिन प्रतिदिन जानवरों की संख्या बढ़ती गई इसके बारे में बताया। कार्यक्रम में सेंट जॉन नवाबगंज के बच्चों ने गणेश वंदना प्रस्तुत करने के साथ कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर तालियां बटोरी। वहीं जू के अधिकारियों ने केक काटकर इस खुशी को मनाया। इस मौके पर अधिकारियों ने तिरुपति की सफेद शेरनी दुर्गा, गौर (जंगली कुत्ता), अफ्रीका के वाइसन को दर्शकों के लिए आज रिलीज किया है। 21 दिनों बाद कई और जानवर जू में देखने को मिलेंगे। चिड़ियाघर की स्थापना 1974 में तत्कालीन डायरेक्टर आरएस भदौरिया ने की थी। उस समय यहां पर 17 प्रजाति के 650 जानवर हुआ करते थे और वर्तमान में यहां पर 123 प्रजाति के 1497 जानवर है। इस मौके पर आरएस भदौरिया ने कहा कि आज कानपुर जो स्वर्ण जयंती समारोह मना रहा है इसकी मुझे बहुत खुशी है। जिस उद्देश्य से इसे खोला गया था, आज मैं वह उद्देश्य पूरा होते देख रहा हूं। यहां पर बहुत अच्छे-अच्छे जानवर है और लगातार जानवरों की संख्या बढ़ रही है। पूरे प्रदेश में कानपुर जू अपनी एक अलग पहचान रखने वाला है। पहले के समय में इसे लोग इतना नहीं जानते थे, लेकिन आज यह जू पूरे प्रदेश में छाया हुआ है।चिड़ियाघर के डायरेक्टर केके सिंह ने बताया कि इस चिड़ियाघर में सबसे पहला जानवर ऊदबिलाव था जो की इटावा के चंबल घाटी से मछुआरों ने पड़कर वन विभाग को सौंपा था। वहीं, देश का पहला वनमानुष भी इसी चिड़ियाघर में आया था। इंग्लैंड के वन विभाग ने कानपुर के चिड़ियाघर को एक जोड़ा दिया था, जिसने 1979 में एक बच्चे को जन्म दिया था। खास बात तो यह है कि यह जोड़ा प्रजनन योग नहीं था। डायरेक्टर ने बताया कि तेंदुए के मामले में अपना कानपुर जू प्रदेश मे सबसे ऊपर है और देश मे तीसरे स्थान पर है। यहां पर अभी कुल 25 तेंदुए हैं। इसमें से 16 नर और नौ मादा तेंदुए हैं। इतने तेंदुए अभी कहीं नहीं है। अगर देश की बात करें तो सबसे नंबर एक में गुजरात के शक्कर बाग चिड़ियाघर में 44 तेंदुए हैं और दूसरे नंबर पर कर्नाटक का बन्नेरघटा जू में 37 तेंदुए हैं। कार्यक्रम में चिड़ियाघर ने अपने कैलेंडर का भी उद्घाटन किया। इस कैलेंडर की खास बात यह है कि यहां के कर्मचारियों द्वारा जो तस्वीर ली गई है उसे ही कैलेंडर में लगाया गया है।