संवाददाता।
कानपुर। नगर में जाजमऊ स्थित 36 एमएलडी कामन इफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन 15 फरवरी से बंद हो सकता है। प्लांट का संचालन कर रही कंपनी गंगा इंफ्राबिल्ड प्रा. लि. ने बकाया पैसा न मिलने पर संचालन बंद करने को कहा है। जल निगम ने नगर निगम से सीईटीपी के संचालन एवं अनुरक्षण कार्य को जारी रखने के लिये बकाया रुपये देने को कहा है। जिससे कंपनी का भुगतान किया जा सके। अगर सीईटीपी का संचालन बंद हुआ तो बड़ी मात्रा में अशोधित उत्प्रवाह गंगा में गिरेगा। जलनिगम के अधिशाषी अभियंता विशाल सिंह ने बताया कि दिसंबर 2023 तक टेनरी स्वामियों पर 17 करोड़ 36 लाख रुपए और नगर निगम पर कुल 24 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। भुगतान समय पर नहीं होने से 36 एमएलडी सीईटीपी का संचालन नहीं हो पा रहा है। अब कंपनी ने 15 फरवरी 2024 से आगे प्लांट के संचालन करने से मना कर दिया है। अधिशाषी अभियंता ने नगर निगम को कहा है कि यदि प्लांट बंद हुआ और गंगा में प्रदूषण गया तो उसकी जिम्मेदारी नहीं होगी। इसके साथ ही यूपीपीसीबी, सीपीसीबी और एनजीटी द्वारा कोई पर्यावरण क्षतिपूर्ति लगाई जाती है तो हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। नगर में गंगा की हालत वैसे ही नाजुक है। नालों का सीवेज सीधे गंगा नदी में जाने की वजह से गंगा लगातार मैली हो रही हैं। वहीं एसटीपी और सीईटीपी का संचालन भी सुचारू न होने और प्लांट में समय-समय पर फॉल्ट होने की वजह से भी गंगा दूषित होती हैं। माघ मेले में अभी भी तीन स्नान बाकी है। इसमें 14 फरवरी को वसंत पंचमी, 24 फरवरी को माघी पूर्णिमा, और 8 मार्च को महाशिवरात्रि का स्नान है। ऐसे में अगर सीईटीपी का संचालन बंद हुआ तो बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। धन के आभाव की वजह से एक बार फिर से सीईटीपी के संचालन पर मुसीबत खड़ी हो गई है। कंपनी की चेतावनी के बाद जल निगम ने नगर निगम को पत्र लिखकर साफ कहा है कि बकाया न मिला तो संचालन बंद हो जायेगा। जाजमऊ में बने 36 एमएलडी सीईटीपी में नौ एमएलडी टेनरी का पानी और 27 एमएलडी सीवर का पानी शोधित होता है। धन अभाव के कारण केमिकल, बिजली और डीजल की कमी से प्लांट लगातार नहीं चल पा रहा है। इससे टेनरी का दूषित पानी सीधे गंगा में जा रहा है। जलनिगम के अधिशाषी अभियंता विशाल सिंह ने बताया कि प्लांट बंद न हो इसके लिये कम से कम 6 करोड़ रुपये जारी किए जाएं।