November 22, 2024

कानपुर। देश के सैन्य इतिहास की श्रेणी में कानपुर अपना एक अलग ही महत्व रखता है। 1857 में जब भारत के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई, तो उस समय पेशवा नानासाहेब ने कानपुर के बिठूर से ही विद्रोह का नेतृत्व किया था। यह बात सशस्त्र बल वेटरन्स दिवस 2024 के कार्यक्रम में रविवार को पहुंचे देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा।

   उन्होंने कहा कि यह किसी संयोग से कम नहीं है कि हम अपने पूर्व सैनिकों के सम्मान के लिए कानपुर जैसी जगह पर एकत्र हुए हैं।स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जिस आजाद हिंद फौज का गठन किया, उसकी पहली महिला कैप्टन रही, लक्ष्मी सहगल जी का भी कानपुर से बड़ा आत्मीय नाता रहा। उन्होंने तो अपने जीवन का आखिरी क्षण भी कानपुर में ही बिताया।

   उन्होंने कहा कि केंद्र में जब हमारी सरकार आई तो देश के गृह मंत्री के रूप में और विशेषकर रक्षा मंत्री के रूप में तो सशस्त्र बलों के साथ मेरा बड़ा आत्मीय नाता रहा। कई बार तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे पिछले जन्मों के कुछ संचित पुण्य होंगे कि मुझे हमारे सैनिकों के साथ इतना आत्मीय संबंध बनाने का मौका मिला।

  आज वेटरेनस डे है, आज भी जब मैं आप सबके बीच उपस्थित हूं तो मुझे काफी घर पर महसूस होता है, जो इस देश के नागरिकों को अपने सैनिकों के प्रति होता है। इस देश का हर नागरिक, चाहे वह किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो, वह अपने सैनिकों के प्रति एक विशेष स्नेह रखता है।

   देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को कानपुर स्थित एयर फोर्स स्टेशन पहुंचे। जहां उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजली दिया और उनके बलिदान को याद किया।

   उन्होंने मीडिया के द्वारा अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर शंकराचार्यों द्वारा न्योता ठुकराने पर बोले की राम मंदिर में मुहूर्त के हिसाब से ही प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। आईएनडीआईए गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर चल रही उठापटक पर कहा कि यह उनका आंतरिक मामला है। वहीं उन्हो नें कहा कि जब  शीतलहर में लोग घरों से बाहर निकलना बंद कर देते हैं, लेकिन माइनस डिग्री तापमान में हमारे सैनिक हमारी रक्षा के लिए तैनात रहते हैं। मेरा मानना है कि जीवन की रक्षा करनेे का गुण सिर्फ ईश्वर में होता है जो हमारी जान बचाता है। इस प्रकार डाक्टरों की तरह सैनिक भी ईश्वर के समान हैं। यह बातें रविवार को कानपुर पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कही।

रक्षा मंत्री दो दिवसीय दौर पर शनिवार की शाम कानपुर पहुंचे और अपने गुरु हरिहर दास महाराज का आर्शीवाद लिया। रविवार को वायु सेना स्टेशन पर वह पूर्व सैनिक सम्मेलन कार्यक्रम में पहुंचे और कानपुर युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि जो हमारी जान बचाता है वह ईश्वर के समान है, क्योंकि रक्षा करने का गुण सिर्फ ईश्वर के पास होता है। देश के सैनिक जब सीमा पर तैनात होते हैं तो वह हमारे जीवन की रक्षा करते हैं। सैनिकों में डाक्टरों की तरह जान बचाने के गुण विद्यमान होते हैं बस तरीका अलग होता है। जो हमारी जान बचाता है वही हमारे लिए ईश्वर के समान है। आगे कहा कि हमारे सैनिकों की वीरता का सम्मान सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी होता है। इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, एयर मार्शल विभास पांडेय, एयर मार्शल आरके आनंद आदि मौजूद रहें।

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