संवाददाता।
कानपुर | माना जाता है कि यूपी क्रिकेट दिल्ली से संचालित होता है, क्योंकि पूर्व सचिव और निदेशक दिल्ली में रहते हैं। हालांकि इन दिनों इस अवधारणा में बदलाव आया है। यूपी क्रिकेट से जुड़े लोगों का दावा है कि अब यूपी क्रिकेट के कई केंद्र हो चुके हैं जिसमें फतेहपुर मेरठ और सहारनपुर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है । क्रिकेट की बाकी गतिविधियां भले ही कानपुर और लखनऊ समेत विभिन्न शहरों से संचालित होती हों, लेकिन कथित रूप से क्रिकेट की खिचड़ी प्रदेश के छोटे से जिले उन्नाव
में ही पकती है और ये खिचड़ी सहारनपुर से होते हुए पूरे प्रदेश में वितरित हो जाती है। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि सचिन और कुछ खास सदस्यों का जखीरा उन्नाव में डेरा डाले बैठे हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश क्रिकेट आजकल इन्हीं शहरों के नाम के इशारे से जाना जा रहा है। इन्हीं शहरों में बैठे लोग उत्तर प्रदेश के क्रिकेट को कंट्रोल कर रहे हैं और इसकी अच्छी और खराब दोनों छवि के लिए जिम्मेदार माने जा सकते हैं।उत्तर प्रदेश क्रिकेट में बीते कुछ दिनों से एक आडियो बहुत वायरल हो रहा है। इस आडियो में दो लोग एक क्रिकेटर को पैसे के बदले अंडर-16 टीम में खिलाने की बात करते सुनाई दे रहे हैं। इस आडियो के वायरल होने से वो लोग जो यूपी क्रिकेट के अंदर चल रहे इस गोरखधंधे से पहले से वाकिफ हैं, वो अब खुलकर इसकी बात करने लगे हैं। उनका कहना है कि सहारनपुर इस पूरे गोरखधंधे का केंद्र है। वहीं से चयन समिति और बाकी ऑफिशियल्स को निर्देश मिलते हैं। सहारनपुर के निर्देश को इंकार कर पाना यूपी क्रिकेट के किसी भी व्यक्ति के लिए संभव नहीं। आदेश की शक्ल में ये निर्देश हर हाल में पूरे होते हैं। यूपी क्रिकेट से जुड़े ऐसे ही कुछ लोगों ने अब नया खुलासा किया है। बताया जा रहा है कि सहारनपुर से जो निर्देश मिलते हैं, दरअसल वो सहारनपुर नहीं बल्कि उन्नाव से प्रेरित होते हैं। यूपी क्रिकेट में किसे खेलना है, किसे खिलाना है, क्या डील होगी, राशि कहां से आएगी, किसे जाएगी, किसको कितना देना है, किससे कितना लेना है, ये सारी प्रक्रिया उन्नाव से तय होती है। यही नहीं, पैसों का लेन-देन भी उन्नाव के ही खातों से होता है, जिसके बाद सहारनपुर को इसकी जानकारी दी जाती है और फिर दिशा निर्देश जारी होते हैं।
दिलचस्प बात ये है कि सहारनपुर और उन्नाव जो अब साथ-साथ हैं, वो कभी एक-दूसरे के खिलाफ थे। सूत्रों के मुताबिक उन्नाव ने सहारनपुर और यूपी क्रिकेट में हो रहे गोरखधंधे के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। कई मोर्चों पर उसका विरोध किया। एफआईआर तक हुई, लेकिन फिर न जाने क्या हुआ पूरी तस्वीर ही बदल गई। उन्नाव और सहारनपुर हमजोली हो गए। सहारनपुर ने उन्नाव की कई जगह आर्थिक मदद की, उसको आगे बढ़ाया। नतीजा, उन्नाव भी सहारनपुर के लिए आर्थिक मशीन की तरह काम करने लगा। आरोप है कि इन दिनों यूपी क्रिकेट में जो भी घमासान मचा हुआ है, कहीं न कहीं उसका केंद्र उन्नाव ही है। उन्नाव से ही सारी चीजें फाइनल होकर आगे बढ़ती हैं और फिर सहारनपुर की अंतिम मोहर लगने के बाद यूपी क्रिकेट में उसे लागू कर दिया जाता है। इस खुलासे के बाद उन्नाव के प्रति लोगों की धारणा बदल गई है और अब उसे यूपी क्रिकेट के नए सेंटर के रूप में देखा जा रहा है।