संवाददाता। कानपुर। नगर में शनिवार देर शाम छह डॉक्टरों की टीम ने मादा गैंडा मानू का पोस्टमॉर्टम किया। कानपुर चिड़ियाघर में मादा गैंडा मानू की मौत आंतों के मूवमेंट बंद होने से फेफड़े और लंग्स पूरी तरह से फेल होने से हुई थी। कानपुर के साथ लखनऊ और मथुरा चिड़ियाघर के डॉक्टरों की टीम रही। हालांकि टीम इसकी सही तरह से जांच करने के लिए उसका विसरा सुरक्षित कर जांच के लिए बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान भेजा है। प्राणि उद्यान में साल 2002 में पैदा हुए मादा गैंडा मानू ने 16 अक्टूबर 2023 को बच्चे को जन्म दिया था। इससे पहले वह वर्ष 2013 में पवन और 2015 में कृष्णा को जन्म दिया था। जो आज चिड़ियाघर की शान बने हुए हैं। 27 अक्टूबर को अचानक मानू की मौत होने से चिड़ियाघर में मातम फैल गया। क्योंकि डॉक्टर भी मौत के कारण का पता नहीं लगा सके थे। 6 डॉक्टरों की टीम ने मानू के शव का पोस्टमॉर्टम किया तो हकीकत सामने आई। आंतों के काम करना बंद होने के बाद भी मानू चारा खा रही थी जो कि पेट में एक जगह जमा हो रहा था, वो पाचन नली में पहुंच ही नहीं रहा था। इस कारण पेट में गैस बनने लगी थी। गैस के ज्यादा दबाव के कारण उसके फेफड़े और लंग्स पर जोर पड़ा। इस कारण दोनों ने काम करना बंद कर दिया और उसकी मौत हो गई थी। शव को पोस्टमॉर्टम के बाद उसकी सींग को जला दिया गया और उसे जमीन में दफना दिया गया। 6 राजपत्रित अधिकारियों की निगरानी में सींग को जलाया गया।प्राणि उद्यान निदेशक केके सिंह ने बताया, “बिसरा को जांच के लिए बरेली भेजा जाएगा। इसके बाद मौत का कारण अच्छी तरह से स्पष्ट हो सकेगा।” 13 दिन पहले चिड़ियाघर में जन्मे मानू के बच्चे को बचाने की बड़ी चुनौती है। उसके लिए दुधवा नेशनल पार्क से विशेष दूध की बोतल मंगाई गई है। उसकी देखभाल करने की जिम्मेदारी कीपर रवींद्र को सौंपी गई है। असम के विशेषज्ञों की लगातार मदद ली जा रही है उसी हिसाब से बच्चे की देखभाल की जा रही है।