संवाददाता।
कानपुर। नगर में मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. यूबी सिंह ने कहा कि बच्चों के लिए टीकाकरण का बहुत महत्व है। टीकाकरण बच्चों के शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। टीकाकरण होने से बच्चे कई बीमारियों व संक्रमण के खतरे से सुरक्षित रहते हैं। डीआईओ ने बताया कि जनपद के शहरी क्षेत्र में मौजूद कुल 394 निजी चिकित्सालयों में जहां प्रसव की सुविधा उपलब्ध है, वहां अब शिशु जन्म के 24 घण्टे के अंदर उसे बर्थ डोज के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। बर्थ डोज के अंतर्गत ओपीवी, हेपेटाइटिस बी एवं बीसीजी का टीका लगवाना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि जो निजी चिकित्सालय अपनी निजी वैक्सीन ही लगाना चाहें या अभिभावक निजी वैक्सीन की मांग कर रहे हों तो वह इसके लिए स्वतंत्र हैं। वह अपना शुल्क ले सकते हैं। उन्होंने बताया इसके लिए सभी निजी चिकित्सालयों से एक या दो प्रतिनिधियों को नामित किया गया है, जिन्हें स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि जन्म के समय तीन टीके (बीसीजी, ओपीवी और हेपेटाइटिस-बी) लगाए जाते हैं और यदि जन्म के समय बीसीजी का टीका लगा दिया जाता है तो उसको दोबारा लगाने की आवश्यकता नहीं होती है। इसके उपरांत 6, 10 व 14 सप्ताह पर ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन), पेंटावेलेंट दिया जाता है। वहीं, पहले और तीसरे ओपीवी और पेंटावेलेंट्स के साथ आईपीवी (पोलियो इंजेक्शन) दिया जाता है। 9 से 12 माह में खसरा के टीके के साथ विटामिन-ए की खुराक दी जाती है। इसके बाद 16 से 24 माह में डीपीटी, ओपीवी बूस्टर, खसरा की दूसरी खुराक विटामिन-ए के साथ दी जाती है। इसके बाद 5 से 6 साल में डीपीटी की दूसरी बूस्टर डोज दी जाती है। साथ ही किशोर और किशोरियों को 15 साल की उम्र में टिटनेस का टीका दिया जाता है।