संवाददाता।
कानपुर। नगरवासियों को नए साल में नई सौगात मिलने वाली है। जन्मजात बच्चों में बहरेपन की समस्या अब असानी से दूर हो जाएगी। कानपुर के उर्सला अस्पताल में अब जनवरी माह से बच्चों के कान में कॉक्लियर इंप्लांट लगाया जाएगा। यह मशीन बच्चों के बहरेपन को दूर करेगी। एक साल की उम्र तक आवाज देने पर भी बच्चा नहीं सुन रहा हो तो ऐसे में परिजनों को सावधान हो जाना चाहिए। उर्सला अस्पताल के नाक, कान, गला रोग के विशेषज्ञ डॉ. प्रवीन कुमार सक्सेना ने बताया कि यह कानों से जुड़ी बड़ी समस्या हो सकती है। ऐसे बच्चों को समय रहते डॉक्टर को दिखना चाहिए। अस्पताल की ओपीडी में प्रतिमाह औसतन 15 बच्चे ऐसे पहुंचते है, जो सुन और बोल नहीं सकते। यह जन्मजात दिव्यांग होते है, जिनको इलाज के लिए अभी उर्सला से निजी अस्पताल भेजा जाता है। निजी अस्पतालों में जांच, इलाज व ऑपरेशन कराने पर लगभग चार से पांच लाख रुपये का खर्च आता है। डॉ. सक्सेना के मुताबिक प्रदेश में पहला जिला अस्पताल उर्सला है, जहां पर शून्य से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों का इलाज व ऑपरेशन हो सकेगा। अभी तक यह ऑपरेशन सिर्फ प्रइवेट अस्पतालों में ही होता था, लेकिन अब उर्सला में बच्चों के कान में कॉक्लियर इंप्लांट लगाया जाएगा, जिससे बाद उनमें सुनने और फिर बोलने की क्षमता विकसित होगी। यह इंप्लांट लगने के बाद जन्मजात दिव्यांग बच्चे भी आम बच्चों की तरह ही जीवन व्यतित कर सकते है। उनको सुनने और बोलने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी। इस संबंध में बीते शुक्रवार को दिल्ली एम्स के डॉ.कक्कड़ और मुंबई की डॉ.अपर्णा नदूलकर ने उर्सला का ऑनलाइन निरीक्षण किया। इसके साथ ही दिल्ली एम्स की एक टीम ने उर्सला आकर नाक, कान व गला विभाग और ओटी की जांच की थी। इसके बाद ऑपरेशन करने की परमीशन दी गई। कॉक्लियर इंप्लांट के तहत बच्चों के कान के आंतरिक हिस्से में सर्जरी कर मशीन लगाई जाएगी। इस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के जरिए बच्चा पहले सुनने और फिर बोलने लगेगा। यह डिवाइस माइक्रोफोन, स्पीच प्रोसेसर, ट्रांसमीटर, रिसीवर और इलेक्ट्रोड से बनी है। माइक्रोफोन आवाज को प्रोसेसर तक पहुंचाता है। यहां से आवाज फिल्टर होकर इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल के जरिए ट्रांसमीटर तक पहुंचती है।