संवाददाता।
कानपुर। नगर में जज के नाम पर 1 लाख की ठगी करने वाले शातिर शब्बीर अहमद को जाजमऊ थाने की पुलिस ने अरेस्ट करके जेल भेज दिया। शातिर ने जज ही नहीं, कानपुर पुलिस कमिश्नरेट में दरोगा-इंस्पेक्टरों को थाने का चार्ज दिलाने के नाम पर भी लाखों रुपए वसूल लिया। शब्बीर की कानपुर पुलिस कमिश्नर के साथ कई तस्वीरें सामने आई हैं। जिसे दिखाकर वह दरोगा और इंस्पेक्टरों को अपने झांसे में लेता था। अब पुलिस कमिश्नर के साथ तस्वीरें वायरल होने के बाद कानपुर पुलिस कमिश्नरेट भी कटघरे में खड़ी हो गई है। सावित्री नगर कानपुर में रहने वाले वसीम ने बताया कि उनके बेटे के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चल रहा था। मुकदमे का ट्रायल अंतिम दौर पर था। इस दौरान उनकी भेंट मक्का मस्जिद केडीए कॉलोनी जाजमऊ के रहने वाले कथित बीजेपी नेता शब्बीर अहमद से हुई। शब्बीर ने बताया कि जज उनके परिचित के हैं, 5 लाख रुपए में काम हो जाएगा। वसीम ने काम के लिए 1 लाख रुपए बतौर एडवांस ले लिया। लेकिन कुछ दिन बात वसीम के बेटे को कोर्ट से सजा हो गई। रुपए वापस मांगने पर शब्बीर आनाकानी करने लगा। ज्यादा दबाव बनाने पर शब्बीर ने गाली-गलौज करके भगा दिया। वसीम ने मामले की शिकायत दर्ज कराई और मंगलवार को जाजमऊ पुलिस ने जांच के बाद आरोप सही पाए जाने पर शब्बीर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके अरेस्ट कर लिया। मंगलवार को कोर्ट में पेश करने के बाद शब्बीर को जेल भेज दिया गया।पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि शब्बीर ने कानपुर कमिश्नरेट में तैनात कई दरोगा और इंस्पेक्टरों से भी लाखों की ठगी की है। कोहना थाने में तैनात रहे एक इंस्पेक्टर से कानपुर के सबसे महंगे थाना फजलगंज का चार्ज दिलाने के नाम पर 8 लाख रुपए लिया था, लेकिन इंस्पेक्टर को महीनों तक चार्ज नहीं मिला। इतना ही नहीं उनका कानपुर से प्रयागराज ट्रांसफर हो गया। इसके बाद चार दिन पहले 9 दिसंबर को इंस्पेक्टर की पत्नी शब्बीर के घर पहुंची और रुपए के लिए हंगामा किया। इतना ही नहीं डायल-112 पर सूचना भी दी। लेकिन महकमे की बदनामी और वसूली का खेल खुलने के डर से अफसरों ने कोई एक्शन नहीं लिया।शातिर शब्बीर ने सिर्फ कानपुर पुलिस कमिश्नर डॉ. आरके स्वर्णकार ही नहीं डीसीपी, एसीपी और शहर के कई दिग्गज नेताओं से भी उसके संबंध सामने आए हैं। वह सभी नेताओं और पुलिस अफसरों के साथ फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करता था। इससे लोगों को लगता था कि वह अफसरों और नेताओं का बेहद करीबी है। उसने कई बार दरोगा और इंस्पेक्टरों की ट्रांसफर पोस्टिंग भी कराई थी। इसके चलते सभी पुलिस कर्मियों का विश्वास हो गया था कि शब्बीर की साबह से नजदीकी है। इसके चलते आंख बंद करके मनचाहा थाने का चार्ज लेने के लिए पुलिस वाले उसके पास एडवांस में पैसा जमा कर देते थे।