संवाददाता।
कानपुर। नगर के चिड़ियाघर में 8 साल बाद मादा गैंडा मानू ने बच्चे को जन्म दिया है। इससे वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है। बता दें कि मादा गैंडा मानू का जन्म भी कानपुर चिड़ियाघर में ही हुआ था। मानू ने दूसरी बार बच्चे को जन्म दिया है। जू प्रशासन के मुताबिक बच्चे को कोई समस्या नहीं है। जन्म के कुछ देर बाद से ही वो मां के साथ खेल रहा है। हालांकि डॉक्टर्स की टीम बच्चे पर नजरें बनाए हुए है। वन्य जीवों के एक्सचेंज प्रोग्राम के अंतर्गत 27 जुलाई 1997 को पटना चिड़ियाघर से मादा गैंडा छुटकी को कानपुर लाया गया था। उसने 22 जून 2002 को मानू को जन्म दिया। गैंडा की औसत आयु 50 वर्ष मानी जाती है। मानू अब 21 वर्ष की हो चुकी है। इस अवधि में मानू ने 28 मई 2013 को नर गैंडा पवन व चार सितंबर 2015 को कृष्णा को जन्म दिया था। तीनों गैंडा चिड़ियाघर में अलग-अलग बाड़ों में हैं। अब इनकी संख्या बढ़ाने के लिए प्रजनन पर जोर दिया जा रहा है। मानू ने 8 साल बाद बच्चे को जन्म दिया है। चिड़ियाघर निदेशक केके सिंह ने बताया कि संकटग्रस्त वन्य प्राणियों में शामिल गैंडा को संरक्षित करने व उनकी संख्या बढ़ाने में कानपुर चिड़ियाघर अहम भूमिका निभा रहा है। गैंडा के प्रजनन और संरक्षण के क्षेत्र में कानपुर चिड़ियाघर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। गंगा किनारे प्राकृतिक वन क्षेत्र के शांत वातावरण में बसा चिड़ियाघर दशकों से गैंडों का पसंदीदा स्थान रहा है। चिड़ियाघर के इतिहास में 10 गैंडे जन्म ले चुके हैं। उन गैंडों ने कानपुर, जूनागढ़, लखनऊ से लेकर जापान के चिड़ियाघर तक दर्शकों का मनोरंजन किया।प्रशासनिक अधिकारी बताते हैं कि गैंडा आमतौर पर शांत स्वभाव के होते हैं, लेकिन एक ही बाड़े में एक से अधिक गैंडा को रखने से वे आक्रामक हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस समय चिड़ियाघर में रह रहे गैंडों का पसंदीदा भोजन केला है। इसके अलावा वे गाजर और चना भी प्रेम से खाते हैं। एक गैंडे की डाइट पर प्रतिवर्ष तीन लाख रुपए से अधिक खर्च आता है।