कानपुर,। किसानों को गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए उन्हीं किस्मों में प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का प्रयोग करना चाहिए, जिन किस्मों की लम्बाई अधिक होती है। यह जानकारी हिन्दुस्थान समाचार प्रतिनिधि से बात करते हुए चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि एवं मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।
उन्होंने बताया कि सबसे जाने कि प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर (PGR) हार्मोन-आधारित रसायन है जो पौधों को आंतरिक लेबल पर नियंत्रित करता है। यह कुछ ही घंटों में परिणाम दिखाता है।
डॉ.पांडेय ने बताया कि उनके कार्यों के परिणामों के आधार पर, पीजीआर को मोटे तौर पर दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है। पौधा विकास वर्धक और पौधा विकास अवरोधक। पहले समूह में ऑक्सिन, जिबरेलिन और साइटोकाइनिन शामिल हैं, जबकि दूसरे समूह में एब्सिसिक एसिड और एथिलीन शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए सभी प्रकार के गेहूं में प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसका प्रयोग उन्ही किस्मों की गेहूं में प्रयोग करना है जिसकी लम्बाई अधिक होती है। जैसे डीबीडब्लू-303, डब्लूएच-1270, डीबीडब्लू-187, डीबीडब्लू-222, डीबीडब्लू-327 आदि किस्में। ध्यान रहे कि आपने इन किस्मों में से किसी भी किस्म की बुवाई अक्टूबर के आखिरी सप्ताह और नवंबर के पहले सप्ताह में की गई है। और अपने गेहूं की बुवाई के समय डेढ़ गुना खादों (यानी 80 kg DAP और 3 से 4 बैग यूरिया) का प्रयोग किया गया है। तो आपको इस स्प्रे को अपनी गेहूं की फसल में कर सकते हैं। यह सप्रे आपकी गेहूं की फसल के कद को 9 से 10 इंच कम कर देता है। जिससे वह गिरती नहीं है। अत्यधिक खाद देने से गेहूं के पौधे नरम पड़ने लगते हैं। और उनकी लंबाई भी अधिक हो जाती है। इसके लिए वृद्धि नियंत्रक का प्रयोग किया जाता है।
डॉ.पांडेय ने बताया कि गेहूं में वृद्धि नियंत्रकों का प्रयोग इन किस्मों में आपको दो बार करना है। पहला स्प्रे आपको 50 से 55 दिन की फसल पर करना है। और दूसरा स्प्रे आपको 80 से 85 दिन पर करना है। जब आपको आपकी गेहूं की फसल घास जैसी दिखाई दे और उसमें जमीन न दिखे। तब ही आप वृद्धि नियंत्रकों का प्रयोग करें। अन्यथा आपने अगर उपरोक्त प्रकार के गेहूं की फसल में से किसी किस्म की बिजाई रेतीली जमीन या हल्की मिट्टी में की है। तो आपको इनमें से किसी भी दवाई का प्रयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं है।