संवाददाता।
कानपुर। नगर के जेके कैंसर अस्पताल में शुक्रवार को डॉक्टरों ने संवेदनहीनता की सारे हदें पार कर दी। मरीजों को भर्ती करने से तो मना ही कर दिया। उसके बाद उसे स्ट्रैचर तक उपलब्ध नहीं कराया। कैंसर से जूझ रहीं 60 साल की महिला विमलेश देवी को लेकर उनके पति इलाज के लिए गोद में उठाकर इधर-उधर भटकते रहे। करीब चार घंटे तक वह इलाज के लिए परेशान रहे। लालबंगला निवासी वीरेंद्र प्राइवेट नौकरी करते है। उन्होंने बताया कि पत्नी को पिछले पांच सालों से गले का कैंसर है। उनका इलाज जेके कैंसर हॉस्पिटल की डॉ. अर्चना सिंह से चल रहा है। शुक्रवार को पत्नी का तबियत ज्यादा खराब हुई तो उन्हें दिखाने के लिए अस्पताल लाए। डॉक्टरों ने कहा कि कैंसर तीसरे स्टेज में पहुंच चुका है। ऐसे में जब भर्ती करने को कहा तो डॉक्टरों ने भर्ती करने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अभी यहां से ले जाओ जांच नहीं हो पाएगी। इसके बाद मरीज को जांच के लिए कॉर्डियोलॉजी के लिए जांच कराने के लिए रेफर कर दिया। कैंसर अस्पताल में परिजन बार- बार अस्पताल में भर्ती करने के लिए डॉक्टरों से कहते रहे मगर किसी का दिल नहीं पसीजा। सिर्फ नाक में नली डालकर इलाज के नाम पर महिला के साथ खाना पूर्ति कर दी गई। वहीं, वृद्धा के पति का आरोप है कि जब वह कॉर्डियोलॉजी पहुंचे तो वहां भी मरीज को स्ट्रैचर नहीं दिया गया। गोद में उठाकर ही जांच कराने के लिए उन्हें जाना पड़ा। वहां पर एलएमटी, टीएमटी कराने के लिए डॉक्टरों ने घंटों इंतजार कराया, जबकि विमलेश की हालत काफी खराब थी। पति वीरेंद्र सिंह ने बताया शुक्रवार सुबह साढ़े आठ बजे भयंकर कोहरे व सर्दी में जेके कैंसर संस्थान लेकर आए थे। डॉ. अर्चना सिंह ने उन्हें ढाई घंटे बाद करीब 11 बजे मरीज को देखा। पति ने विमलेश की हालत के बारे में बताया और भर्ती करने को कहा तो डॉक्टर नाराज होने लगे। जेके कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक एसएन प्रसाद ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। मरीज को भर्ती क्यों नहीं किया गया इसकी जांच कराई जाएगी। परिजनों ने मेरे पास कोई शिकायत नहीं की है।