October 18, 2024

पूर्व भाजपा नेता आशु दिवाकर ही मास्टरमाइंड जेसीपी आनंद प्रकाश..

संवाददाता।
कानपुर।
नगर के किसान बाबू सिंह यादव आत्महत्या कांड में मुख्य आरोपी आशु दिवाकर उर्फ प्रिय रंजन और आरोपी शिवम चौहान की फिर दो कॉल रिकॉर्डिंग सामने आई हैं। दोनों ऑडियो में आशु दिवाकर आरोपी शिवम सिंह चौहान से सब कुछ ठीक कर देने की बात कह रहा है। इसके साथ ही आशु दिवाकर ने आरोपी शिवम चौहान को एक शपथपत्र भी दिया है। इसमें लिखा है कि इस केस से शिवम सिंह चौहान का कोई लेना-देना नहीं है। दूसरी तरफ, पुलिस ने हाईकोर्ट में आशु के एनबीडब्ल्यू रद्द करने की याचिका पर जवाब दाखिल करते हुए उसके शपथपत्र को झूठा बताया। आइए हम आपको बताते हैं कि आशु दिवाकर के वायरल ऑडियो और पुलिस ने अपने शपथपत्र में क्या दावा किया। आशु दिवाकर ने बीते 2 दिसंबर को फरार आरोपी शिवम सिंह चौहान को लखनऊ से खरीदे गए 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर एक शपथ पत्र भी दे दिया। जिसमें उसने लिखा कि मैं डॉ. प्रियरंजन आशू दिवाकर पुत्र श्रीराम प्रकाश दिवाकर शपथपूर्वक बयान करता हूं। यह कि मैं शिवम चौहान पुत्र स्व. मदन सिंह चौहान निवासी शृंगार नगर करहल चौराहा, मैनपुरी (मो0-941..64) को पिछले 15 सालों से भली भांति जानता हूं। यह कि मैंने शिवम चौहान से जमीन की सौदा के संबंध में 3 चेक संख्या -697177, 697178, 697179 बिना नाम और रकम भरे हुए लिए थे और वे चेक अभी भी मेरे पास हैं। उक्त चेकों का इस्तेमाल जमीनी सौदे में आज तक नहीं हुआ है। मुकदमा सं0-0756/23 थाना चकेरी कानपुर कमिश्नरेट में उक्त चेकों अथवा शिवम चौहान का कोई लेना-देना नहीं है। आशु दिवाकर ने एनबीडब्ल्यू रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए दावा किया था कि वह लगातार पुलिस के साथ मीटिंग कर रहा था। जांच में सहयोग कर रहा था। कॉल डिटेल का स्क्रीनशॉट भी याचिका के साथ दाखिल की थी। इसके बाद भी पुलिस ने उसके खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी कर दिया। पुलिस की कलई खुलने के बाद अब पुलिस ने हाईकोर्ट में अपना शपथपत्र दाखिल किया है। मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर चकेरी अशोक कुमार दुबे ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया। इसमें कहा गया है कि आशु दिवाकर दो मोबाइल नम्बरों का इस्तेमाल कर रहा था। इसमें एक मोबाइल नंबर औरैया निवासी हरगोविंद के नाम पर जारी है। जबकि यह व्यक्ति न तो आशु दिवाकर का रिश्तेदार है और न ही परिवार का सदस्य। जवाब में इंस्पेक्टर ने यह भी कहा है कि आशु दिवाकर से एसीपी और उनकी टेलीफोन पर कोई बात नहीं हुई है। आशु की पत्नी से बात हुई थी। उन्हें आशु को सरेंडर कराने के लिए कहा गया था।पुलिस ने अपने जवाब में कहा है कि आशु के दोनों मोबाइल नंबर 11-12 सितंबर को बंद थे। फिर 13 को खुले और 14 सितंबर को फिर बंद हो गए थे। 28 नवंबर को एक और 2 दिसंबर को दूसरा मोबाइल ऑन हो गया था। इसे साबित करने को पुलिस की तरफ से सीडीआर भी दाखिल की गई है। इंस्पेक्टर अशोक दुबे और एसीपी अमरनाथ पर फरारी के दौरान मीटिंग करने के गंभीर आरोप लगे थे। आशु ने खुद ही दावा किया था पुलिस ने किदवई नगर निवासी उनके मित्र अमित चौहान के घर पर मीटिंग की थी। पुलिस ने इस बात का काउंटर करते हुए अपने शपथपत्र में कहा है कि आशु दिवाकर की तलाश में पुलिस ने अमित चौहान के दफ्तर में रेड की थी। पुलिस ने इस बात की पुष्टि करने के लिए अमित का लिखित बयान दाखिल किया है। जिसमें अमित ने कहा है कि 13 सितम्बर को शाम 6 बजे इंस्पेक्टर चकेरी पुलिस बल के साथ दफ्तर में आए थे। आशु दिवाकर के बारे में पूछताछ की थी। इस दौरान आशु की पत्नी अमित चौहान के दफ्तर पहुंचीं और कहा कि आशु से सम्पर्क नहीं हो पा रहा है। घर चलिए वहां उन्हें बुलाने का प्रयास करती हूं। मेरे ऑफिस परिसर में आशु व पुलिस के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया, किसान सुसाइड केस के आरोपी आशु दिवाकर और शिवम सिंह चौहान के बीच बातचीत के ऑडियो सामने आए हैं। सोशल मीडिया पर भी वायरल हैं। इन ऑडियो को जांच में शामिल किया जा रहा है। ये तीनों ऑडियो इस ओर इशारा कर रहे हैं कि पूरे मामले में भाजपा से निष्कासित आशु दिवाकर ही मास्टरमाइंड है। केस में यह ऑडियो आरोपियों को चार्जशीट और फिर सजा तक पहुंचाने के लिए अहम साक्ष्य हैं। 

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