संवाददाता।
कानपुर। नगर में किसान बाबू सिंह सुसाइड केस के मुख्य आरोपी व मास्टर माइंड आशु दिवाकर उर्फ प्रियरंजन की याचिका पर हाईकोर्ट ने उसकी एनबीडब्ल्यू खारिज कर दिया गया है। अब पुलिस उसके घर की कुर्की नहीं कर सकती है। पुलिस की लचर पैरवी का आरोपी को हाईकोर्ट में फायदा मिला। फिलहाल अरेस्टिंग स्टे खत्म हो गया है। अब पुलिस फिर से आशु दिवाकर की तलाश में छापेमारी का ढोंग कर रही है। कानपुर चकेरी गांव में रहने वाले किसान बाबू सिंह यादव ने 9 सितंबर को सुसाइड कर लिया था। आरोप था कि निष्कासित भाजपा नेता आशु दिवाकर उर्फ प्रियरंजन ने धोखाधड़ी करके करोड़ों की जमीन हड़प लिया है। इसके चलते ट्रेन के आगे कूदकर किसान ने जान दे दी। एफआईआर दर्ज होने के बाद सुसाइड कांड का मुख्य आरोपी आशु दिवाकर उर्फ प्रियरंजन फरार चल रहा है। पुलिस ने शातिर के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई के लिए नोटिस चस्पा किया था। शातिर ने हाईकोर्ट में एनबीडब्ल्यू खारिज करने के लिए याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान आशु की याचिका पर एनबीडब्ल्यू खारिज कर दिया। लेकिन आशु दिवाकर को हाईकोर्ट से मिला अरेस्टिंग स्टे भी खत्म हो गया है। अब पुलिस फिर से आशु दिवाकर की अरेस्टिंग के लिए छापेमारी शुरू कर दी है। पुलिस की लचर पैरवी ही आशु को राहत मिलने का आधार बनी। एनबीडब्ल्यू जारी करने से पहले चकेरी थाने की पुलिस ने आशु को कोई नोटिस जारी नहीं किया है। इसी तरह तमाम छोटी-छोटी लापरवाही का आशु को हाईकोर्ट में फायदा मिला। कानपुर पुलिस कमिश्नरेट सवालों के घेरे में हैं। आशु दिवाकर का यह पहला ऐसा केस है जिसमें आरोपी 1 लाख का इनामी है। उसने पुलिस की लचर पैरवी का फायदा उठाकर 12 दिसंबर तक अरेस्टिंग स्टे हासिल कर दिया और पुलिस के सामने ही अपने घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और फिर से फरार हाे गया है। अरेस्टिंग स्टे खत्म होने के बाद अब फिर से आशु की तलाश पुलिस ने शुरू कर दी है। ऐसा कानपुर पुलिस कमिश्नरेट दावा कर रही है। लेकिन शातिर आशु दिवाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद अंडरग्राउंड हो गया था।