September 8, 2024

कानपुर सब्जी उत्कृष्टता केंद्र में किसानों को पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक खेती के जरिए कम लागत में अधिक आमदनी के गुर सिखाए जाते हैं। यह जानकारी बुधवार को
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के सब्जी अनुभाग में संचालित सब्जी उत्कृष्टता केंद्र परियोजना के तहत  पांडेय निवादा गांव में आयोजित एक  दिवसीय कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए परियोजना के समन्वयक डॉक्टर डीपी सिंह ने दी।
   डा. सिंह ने बताया कि सब्जी उत्कृष्टता केंद्र का मुख्य उद्देश्य सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों को संरक्षित खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके। 
   इस अवसर पर साग भाजी सस्य विद डॉक्टर राजीव ने बताया कि धान,गेहूं फसल चक्र के नियमित रूप से अपनाने के कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति का व्हास हो रहा है, इसलिए किसानों द्वारा अपने फसल चक्र में दलहनी फसलों के साथ-साथ सब्जी फसलों को भी समायोजित किया जाना वर्तमान समय की मांग है।
   कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर ए.एन.शुक्ल ने लता वर्गीय फसलों में एकीकृत जीव प्रबंधन पर चर्चा करते हुए बताया गया की पत्तियों का रस चूसने वाले कीटों की रोकथाम के लिए नीले एवं पीले फेरोमेनट्रैप को अपने खेतों में अवश्य लगाएं। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मनोज कटियार ने दलहनी फसलों की वैज्ञानिक खेती के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि मूंग की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए श्वेता, विराट एवं शिखा प्रजातियों की बुवाई करें। इस अवसर पर मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने तिलहनी फसलों पर चर्चा करते हुए बताया कि सरसों की फसल में बुवाई के 20 से 25 दिन बाद विरलीकरण अवश्य करें ताकि अधिक पैदावार ली जा सके उन्होंने सल्फर के प्रयोग करने की सलाह दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *