संवाददाता।
कानपुर। नगर में इस ठंड को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि किसानों को गेहूं की फसल अच्छा लाभ देकर जाएगी। रवि की फसल से किसानों को लाभ होने वाला है। अभी कुछ किसानों ने गेहूं की बुवाई नहीं की है। उनके पास 15 जनवरी तक का समय है। यह जानकारी चंद्र शेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने दी। डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि आज के समय में जो किसान मौसम आधारित खेती करते है उन्हे अधिक मुनाफा होता है। किसानों ने 25 दिसंबर तक डी.वी.डब्लू.-316, डी.वी.डब्लू.-107, पी.वी.डब्लू.-833, एच.डी.-3118, के.-7903 (हलना) एवं के.-9423 (उन्नत हलना) आदि की बुवाई की है। यदि अब कोई गेहूं की बुवाई करना चाहता है तो अति विलम्ब से बुवाई के लिए क्षेत्रीय संस्तुत प्रजातियों यथा एच.डी.-3271, एच.आई.1621, डब्लू.आर.-544, के.-7903 (हलना) एवं के.-9423 (उन्नत हलना) आदि की बुवाई 15 जनवरी तक करें। गेहूं बुवाई के 20-25 दिन बाद (ताजमूल अवस्था में) हल्की सिंचाई अवश्य करें। विशेष रूप से ऊसर भूमि में पहली सिंचाई 25-30 दिन बाद हल्की ही करें। ध्यान रहे सिंचाई शाम को ही करें। गेहूं में सकरी एवं चौड़ी पत्ती दोनों प्रकार के खरपतवारों के एक साथ नियंत्रण के लिए पैंडीमेथेलीन 30 प्रतिशत ई.सी. की 3.30 लीटर बुवाई के 03 दिन के अंदर संस्तुत मात्रा को लगभग 300 ली. पानी में घोलकर प्रति हे. फ्लैटफैननाजिल से छिड़काव करें या मैट्रब्यूजिन 70 प्रतिशत डब्लू.पी. की 250 ग्रा. बुवाई के 20 से 25 दिन के बाद 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे. फ्लैटफैननाजिल से छिड़काव करें। गेहूं की खड़ी फसल में यदि जिंक के कमी के लक्षण दिखाई दे तो 5 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट तथा 16 कि.ग्रा. यूरिया को 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करें। यदि यूरिया की टापड्रेसिंग की जा चुकी है तो यूरिया के स्थान पर 2.5 कि.ग्रा. बुझे हुए चूने के पानी में जिंक सल्फेट घोलकर छिड़काव करें (2.5 कि.ग्रा. बुझे हुए चूने को 10 ली. पानी में सायंकाल डाल दें तथा दूसरे दिन प्रातः काल इस पानी को निथारकर प्रयोग करें)। डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि 2 जनवरी के बाद से हल्की बारिश होने की उम्मीद है। ऐसे में यदि यह पानी बरसता है तो खेतों के लिए सोना साबित होगा। किसानों को याद रखना है कि यदि बरसात होती है तो फिर वह सिंचाई न करे, क्योंकि हल्की बरसात खेतों के लिए सबसे बेहतर साबित होगी। यदि किसी कारण जब बरसात नहीं होती है तो फिर सिंचाई के लिए सोचे।