संवाददाता। कानपुर। समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों की अच्छे स्वास्थ्य व देखभाल के लिए अब उत्तर प्रदेश में कंगारू मदर केयर यूनिट का निर्माण कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में बनने जा रही है। आपको बता दें कि भारतवर्ष में हर वर्ष 13 फीसदी बच्चे समय से पहले पैदा हो जाते हैं। यानी कि हर 13वें बच्चे का जन्म समय से पहले हो जाता है। ऐसे में इन बच्चों को बचा पाना काफी मुश्किल होता है।स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार व वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. हरीश चेलानी ने अपनी एक रिसर्च में पाया था कि जो बच्चे पैदा होते ही अधिक बीमार होते हैं। ऐसे बच्चों को अगर मां अपने सीने के ऊपर लिटालेती है तो उन बच्चों की आधी बीमारी दूर हो जाती है। इसके अलावा उन्होंने अपनी रिसर्च में यह भी पाया कि जो भी मां ऐसा करती है उसका बच्चा स्वस्थ रहता है। इसलिए उन्होंने कंगारू मदर केयर की स्थापना करने की सोची। कानपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश में पहली यूनिट और पूरे भारतवर्ष में दूसरी यूनिट कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में बनने जा रही है। यह यूनिट 16 बेड की होगी, जो बच्चे समय से पहले पैदा हो जाते हैं या जो बच्चे कमजोर पैदा होते हैं उनके लिए इस यूनिट का निर्माण कराया जा रहा है। इस यूनिट में मां और बच्चे को एक साथ रखा जाएगा। स्वीटजरलैंड से डब्लूएचओ विभाग से आयी डॉ. योशिदा साचियों ने कहा कि डॉ. हरीश चेलानी की यह शोध केवल भारतवर्ष में नहीं बल्कि अफ्रीका, बांग्लादेश जैसे कई देशों में हुई है। इसके बाद देखा गया कि जो बच्चे अस्वस्थ थे वह मां के सीने में लेटने मात्र से ही स्वस्थ हो गए। इसलिए अब इस यूनिट की शुरुआत कानपुर से होने जा रही है। इस यूनिट में बच्चों को कैसे लिटाना है, कैसे दूध देना है या किसी तरह से उसका पालन पोषण करना है। इसके लिए नर्स और डॉक्टर को ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे दो फायदे हैं। मां अपने बच्चों के साथ रहेगी और कमजोर बच्चों को जो मशीन में रखकर उपचार दिया जाता था। वह उपचार अब नेचुरल मिलेगा। इससे पैसे की भी बचत होगी। डॉ. संजय कला ने बताया कि कानपुर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों को इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद यह डॉक्टर प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में जाकर वहां की नर्स और डॉक्टर को ट्रेनिंग देंगे। इसके बाद वहां भी इसी तरह यूनिट खोली जाएगी, ताकि समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों और जो कमजोर बच्चे पैदा होते हैं, जिनका वजन कम होता है। इस तरह के बच्चों को बचाया जा सके। इस दिशा में कानपुर मेडिकल कॉलेज ने अपना काम शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि जनवरी 2024 में यह यूनिट बनकर तैयार हो जाएगी। स्विट्जरलैंड से डब्लूएचओ विभाग की डॉ. योशिदा साचियो और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. हरीश चेलानी, कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब की सीईओ डॉ. आरती कुमार, डॉ. प्रमोद सिंह, डॉ. अंचिता पाटील, डॉ. रेनू श्रीवास्तव, प्रिया चतुर्वेदी शामिल थी। टीम ने लेबर रूम में जाकर देखा कि किस तरह से बच्चों को मां अपने साथ रखती है और डॉक्टर उनकी किस तरह से देखभाल करते हैं।