संवाददाता।
कानपुर। नगर के सरसौल ब्लॉक के उपकेंद्र हाथीपुर में शनिवार को आयुष्मान मेले के तहत फाइलेरिया उन्मूलन कैम्प आयोजित कर 10 फाइलेरिया रोगी सहायता समूह नेटवर्क के सदस्यों (रोगियों) एवं 20 अन्य फाइलेरिया रोगियों को रुग्णता प्रबन्धन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट प्रदान की गई। इसके साथ ही फाइलेरिया प्रभावित अंगों की समुचित देखभाल के बारे में विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. एके सिंह ने बताया कि फाइलेरिया रोगी प्लेटफॉर्म अन्य फाइलेरिया रोगियों को रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट का लाभ प्राप्त करवाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस समूह के सदस्य अन्य गांवों के फाइलेरिया मरीजों को सूचित करके उनको आयुष्मान मेले में ला रहे हैं, जिससे उन्हें भी इस बीमारी के प्रबंधन की पूर्ण जानकारी हो सके। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है, जिसे सामान्यता हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का आना जिसे काईलूरिया भी कहते हैं, जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। इसके अलावा फाइलेरिया के लक्षणों में पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में स्तन में सूजन की समस्या आती है। फाइलेरिया होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। यह लाइलाज बीमारी है, लेकिन नियमित साफ-सफाई, सामान्य व्यायाम और योगा से प्रभावित अंगों में सूजन को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा पुरुषों के अंडकोष में भी सूजन (हाइड्रोसील) आती है, जिसको ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है। इस अवसर पर सहायक मलेरिया अधिकारी डॉ. भूपेंद्र सिंह, कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर पूनम सहित सीफार संस्था के प्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे।