October 18, 2024

संवाददाता।
कानपुर। नगर के हैलट अस्पताल में आयुष्मान कार्ड धारकों को अपना इलाज व जांच कराने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। मरीज बेड से उठकर अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन कोई भी अधिकारी मरीजों की सुनने को तैयार नहीं हो रहा। मरीज का आरोप है कि 5 दिन पहले डॉक्टरों ने एमआरआई करने को कहा था, लेकिन जब पर्चा बनवा कर एमआरआई कराने के लिए गए तो पैथोलॉजी वाले ने करने से मना कर दिया, क्योंकि पर्चे में फ्री लिखा हुआ था। इसके बाद जब अधिकारियों के पास गए तो उन्होंने एक कमरे से दूसरे कमरे दौड़ाने का काम शुरू कर दिया। नौबस्ता गल्ला मंडी निवासी राजेश कुमार साहू गार्ड की नौकरी करते हैं। वह अपनी पत्नी के साथ 5 दिन पूर्व नई बिल्डिंग में भर्ती होने आए थे। उनका एक तरफ का हाथ और पैर काम नहीं कर रहा है। यहां पर डॉ. अमित चंद्रा के अंडर में उन्हें भर्ती किया गया था। राजेश कुमार का आरोप है कि आयुष्मान कार्ड बना होने के बावजूद भी यहां पर कोई मदद नहीं मिल रही है। डॉक्टर ने एमआरआई कराने को लिखा था, लेकिन आज 5 दिन से हम इधर से उधर टहल रहे हैं, कोई भी अधिकारी साथ नहीं दे रहा है। राजेश साहू ने बताया कि पर्चा लेकर पैथोलॉजी में गए तो पहले तो पर्चा जमा कर लिया, लेकिन जब उसमें आयुष्मान कार्ड लगा देखा तो उन्होंने एमआरआई करने से मना कर दिया और कहा कि प्रमुख अधीक्षक या फिर कानपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से कागज में हस्ताक्षर करवा कर लाओ, जब अधिकारियों के पास गए तो उन्होंने भी हस्ताक्षर करने के लिए इस कमरे से उस कमरे दौड़ाना शुरू कर दिया, लेकिन किसी ने भी हस्ताक्षर नहीं किया। राजेश ने बताया कि जब यहां पर उपचार ठीक से नहीं मिला तो हम लोग भाजपा विधायक महेश त्रिवेदी के पास गए। उन्होंने कानपुर मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के लिए पत्र लिखकर ठीक से उपचार करने व मदद के लिए कहा मगर उनका भी पत्र यहां किसी ने नहीं देखा। विजयनगर निवासी राम लखन ने बताया कि 80 वर्षीय अपनी पत्नी रामरति को पिछले तीन दिन पूर्व नई बिल्डिंग में भर्ती कराया था। उनके हाथ और पैरों में बहुत दर्द था। यहां पर डॉ. वर्षा की देखरेख में भर्ती हुई थी। डॉक्टर ने एमआरआई करने को लिखा है। आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी कोई एमआरआई करने को तैयार नहीं है। राम लखन का आरोप है कि वह कागज लेकर कई बार कानपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला के ऑफिस और प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके सिंह के दफ्तर में गए, लेकिन किसी भी अधिकारी ने कागज देखना भी उचित नहीं समझा। इस मामले में डॉ. संजय काला व डॉ. आरके सिंह से बात करने की कोशिश की गई लेकिन किसी का फोन नहीं उठा। 

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