संवाददाता।
कानपुर। नगर के चकेरी गांव के बाबूराम सुसाइड केस में पीड़ित परिवार से मिलने सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) व पूर्व सांसद सुभाषिनी अली मृतक किसान के घर पहुंची। उन्होंने मुंह से बरबस ही निकल पड़ा कि अगर आशु उर्फ प्रियरंजन जैसे अपराधियों को बाल आयोग का सदस्य बनाया जाएगा तो बच्चों का क्या होगा। इन्हें भाजपा को तत्काल बाल आयोग और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवार से बातचीत करके पूरे मामले को समझा और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। किस आधार पर इस तरह के अपराधियों को बाल आयोग का सदस्य बनाया जाता है। आखिर किस आधार पर उन्हें बाल आयोग सौंपा गया है। ये अपराधी बच्चों के साथ क्या करेंगे। इतना बड़ा फ्रॉड करते हैं, लोगों को इस तरह से लूटते हैं। मृतक किसान बाबूराम को भी चेक दिया और बाद में बहाने से छीन लिया। अब किसान के पास न चेक, न जमीन और न ही रुपए मिले…जमीन पर प्लॉटिंग शुरू हो गई थी। इसके बाद किसान ने मजबूर होकर सुसाइड कर लिया। अगर जमीन ली है तो पेमेंट कैसे दी, एक प्रमाण तो दीजिए। लेकिन अपराधियों के पास कोई प्रमाण नहीं है। मुख्य आरोपी भाजपा नेता आशु उर्फ प्रियरंजन समेत अन्य आरोपियों की अरेस्टिंग होनी चाहिए। इसके साथ ही सबसे बड़ी लड़ाई तो जमीन की है। जिला प्रशासन को पीड़ित परिवार की जमीन लौटा देनी चाहिए। अगर पीड़ित परिवार को इंसाफ नहीं मिला तो वह सड़क पर उतरकर पीड़ित परिवार की लड़ाई लड़ेंगी। इस दौरान उन्होंने किसान की पत्नी बिटान देवी, बेटी काजल और रुबी समेत परिवार के अन्य लोगों से हाल जाना। इसके साथ ही पूरे मामले से जुड़े दस्तावेज भी लिए और कहा कि वह मामले में उच्च स्तरीय पैरवी करके इंसाफ दिलाने की कोशिश करेंगी। चकेरी गांव में रहने वाले बाबूराम यादव की चकेरी के प्राइम लोकेशन पर साढ़े छह बीघा से ज्यादा जमीन थी। भाजपा नेता ने जमीन खरीदने का झांसा देकर पूरी जमीन की लिखापढ़ी करवा ली और किसान को रुपए नहीं दिए। साढ़े छह करोड़ का चेक दिया था, लेकिन बाद में वो भी छीन लिया। इसके बाद किसान ने सुसाइड कर लिया था। मामले में पुलिस ने भाजपा नेता आशु उर्फ प्रियरंजन दिवाकर समेत छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस दो आरोपियों को जेल भेज चुकी है, लेकिन अभी तक मामले में मास्टर माइंड मुख्य आरोपी भाजपा नेता आशु उर्फ प्रियरंजन दिवाकर को अरेस्ट नहीं कर सकी है।