संवाददाता।
कानपुर। सचेंडी थाना क्षेत्र में अग्निवीर की तैयारी कर रहे दो मौसेरे भाइयों की धनतेरस की रात ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। गेटमैन की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शिनाख्त करने के बाद परिवार को सूचना दी। हादसे की जानकारी मिलते ही दोनों के परिवार के साथ गांव में मातम छा गया। एसीपी पनकी भी मौके पर पहुंचे और जांच पड़ताल के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद दोनों के शव परिजनों के सुपुर्द किए जाएंगे। सचेंडी थाना क्षेत्र के लालशाह का पुरवा गांव में रहने वाले बिंदा सिंह चंदेल का इकलौता बेटा आशीष (19 वर्ष) अग्निवीर भर्ती की तैयारी कर रहा था। वह गांव में ही रहने वाले अपने मौसा राजेश सिंह के बेटे सुभाष सिंह (20 वर्ष) के साथ रोज की तरह शुक्रवार देर शाम भी गया था। रनिंग के बाद दोनों कानपुर-झांसी रेलवे ट्रैक पर बैठकर आराम कर रहे थे। इसी दौरान अचानक कानपुर की ओर से एक ट्रेन आ गई, जब तक दोनों संभलते वे चपेट में आ गए। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। सूचना पर सचेंडी थाने की पुलिस और एसीपी पनकी टीबी सिंह मौके पर पहुंचे। दोनों की शिनाख्त करने के बाद परिजनों को हादसे की जानकारी दी। उधर घर में त्योहार की तैयारी व धनतेरस की खरीदारी में जुटे परिवार को हादसे की जानकारी मिलते ही पैरों तले जमीन खिसक गई। पहले तो किसी को विश्वास ही नहीं हुआ। मौके पर मृतक आशीष की बहन डोली व मां पहुंची तो दोनों का शव देखकर बेहोश हो गईं। सुभाष का बड़ा भाई विपिन व मां मिथलेश भी बेसुध हो गए। किसी तरह लोगों ने संभाला। सचेंडी थाना प्रभारी योगेश सिंह ने बताया, हादसे की जानकारी हुई है। दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा। मृतक के चचेरे भाई नीरज ने बताया, आईटीआई की तैयारी कर रहा सुभाष दो माह पूर्व महाराजपुर में हुई आईटीबीपी की सीधी दौड़ भर्ती में पास हो चुका था। वहीं, आशीष भी अर्मापुर में अग्निवीर की परीक्षा में दौड़ लगा चुका था। दोनों सेना में भर्ती के लिए रात-दिन एक किए हुए थे। हादसे के बाद दोनों परिवार ही नहीं गांव में मातम छा गया। देर रात तक गांव के सैकड़ों लोग दोनों के घरों पर मौजूद रहे। गेटमैन ने बताया, सेना की मेडिकल वाली दो डिब्बों वाली ट्रेन एक मालगाड़ी गुजरने के बाद जा रही थी। इसी की चपेट में आने से दोनों युवक हादसे का शिकार हुए हैं। दो डिब्बों की ट्रेन होने के चलते कोई आवाज नहीं होती और रनिंग के बाद रेलवे ट्रैक पर आराम कर रहे दोनों समझ नहीं सके और हादसे का शिकार हो गए। गेटमैन ने बताया कि दो डिब्बों वाली ट्रेन में आवाज बेहद कम होती है।