October 18, 2024

संवाददाता।
कानपुर।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में चल रहे अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी में दूसरे दिन सोमवार को लगभग 4000 के आसपास किसान पहुंचे। यह मेला पूरे 3 साल बाद आयोजित किया जा रहा है। 2019 में आखिरी बार मेले का आयोजन किया गया था। यहां किसानों को डिजिटल बनाने का भी काम किया गया। इसके अलावा उन्हें नए-नए हाइब्रिड बीजों के बारे में बताया जा रहा है और हाइब्रिड खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के सस्य विभाग विज्ञान की ओर से करीब 20 शहरों के लिए क्यूआर कोड जारी किए गए है। किसान अपने घर में बैठकर अपने जिले का क्यूआर कोड स्कैन करेगा और उसे पता चल जाएगा कि आने वाले 5 दिनों में मौसम कैसा रहेगा। इसके लिए मेले में आने वाले किसानों को उनके जिले के क्यूआर कोड उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन पांडेय ने बताया कि किसान खेती करने से पहले मौसम को लेकर काफी चिंतित रहता है, लेकिन अब उनकी सुविधाओं को देखते हुए सभी को यह दिया गया है। अगर वह बीज बोना चाहते हैं तो पहले मौसम का रुख देख ले। इसके बाद बोए, ताकि उनकी फसल को कोई नुकसान ना हो पाए। सस्य विभाग विज्ञान के डॉ. हेमंत कुमार ने लोगों को बताया कि किस तरह से आप खेती करें। आप अपनी जमीन को कभी खाली मत छोड़े। जून जुलाई में धान की खेती करें। इसके बाद नवंबर में जैसे ही धान काटता है तो तुरंत गेहूं की बुवाई शुरू कर दें और फिर अप्रैल में दाल के बीच लगा दें। इसी तरह अगर आप के पास अमरूद का बाग है तो नीचे की जमीन खाली रहती है। ऐसे में आप गोभी, टमाटर, बैगन, मेथी जैसी चीजों की खेती कर सकते हैं। इसके अलावा आंवला की जहां पर खेती होती है। वहीं, पर हरी सब्जियों की खेती उस जमीन पर की जा सकती है। इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इर्रि 147 और इर्रि 162 बीच की खोज की है। यह चावल शुगर मरीजों के लिए सबसे बेहतर है। यदि कोई शुगर मरीज चावल खाने के शौकीन है और अपना मन मार लेता है तो अब उन्हें मन मारने की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिक डॉ. प्रियवर्ती राय ने बताया कि यह चावल ऐसा होता है कि इसे खाने के बाद ग्लूकोज आपके खून में बहुत धीरे-धीरे मिलता है, जिस कारण शुगर मरीज का शुगर लेवल कभी बढ़ता नहीं है। 147 की बात करें तो यह प्रति हेक्टेयर 5 न होता है। इसके दाने की गुणवत्ता काफी उच्चतम होती है। इसके दाने की लंबाई 5.53 मिमी होती है। वहीं, 162 बीज की बात करे तो प्रति हेक्टेयर आपको 40 से 50 कुंतल बीज की जरूरत पड़ेगी और प्रति हेक्टेयर 6 टन इसकी उपज होती है। इसके दाने की भी गुणवत्ता काफी उच्चतम होती है और दाने की लंबाई 6.45 मिमी होती है। वैसे तो मुर्गे-मुर्गी की कई प्रकार की वैरायटी देखने को मिलती है, लेकिन कानपुर में लगे किसान मेले में इस बार कैरी श्याम ब्रीड की नई मुर्गी आई है। इस मुर्गी को केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान बरेली ने तैयार किया है। इसको हाइब्रिड मुर्गी भी कहते है। इसको तैयार करने के लिए कड़कनाथ का एक मेल से विदेशी प्रजाति की कैरी रेड मुर्गी के साथ मीटिंग करने के बाद कैरी श्याम ब्रीड तैयार की। इस ब्रीड की खास बात है कि कड़कनाथ जैसी मुर्गी 70 से 80 अंडे प्रति साल देती हैं, लेकिन यह कैरी श्याम ब्रीड 170 से 180 अंडे प्रति साल देती हैं। इसी तरह कैरियो ट्रॉपिकाना ब्रीड को भी तैयार किया गया है। इसमें देशी मेल से विदेशी फिमेल को मिलाकर यह ब्रीड तैयार की गई है। सीएसए के पशुपालन एवं दुग्ध विज्ञान विभाग के अश्विनी कुमार सिंह ने बताया कि इन मुर्गियों में हाई प्रोटीन मिलता है और फैट बहुत कम होता है। यह मुर्गियां बहुत महंगे दामों पर बिकती हैं। इसलिए इन्हें लोग कम खाते हैं। अगर सेहत के लिए देखा जाए तो यह मुर्गियां सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हुई है। 

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