राम नाम के संग हो, सत्य सदा स्वीकार,
अच्छाई की जीत हो, रावण जाता हार।
राम संग हनुमान भी, करते लंका ध्वस्त,
सदा सत्य की झूठ पर, होती विजय प्रशस्त।
दशम विकारों पर करें, अपने मन की जीत,
राह सत्य की चल दिये, प्रभु से लागी प्रीत।
प्रभु वंदन करता जगत, दिन दशमी है खास,
धरा अवध की झूमती, छाया नया प्रकाश।
अष्ट शक्तियों का रहे, मन में जागृत भाव,
निर्विकार हो मन सदा, मिटे विकार प्रभाव।
भाव देवत्व का रहे, बुराई करो अंत,
सत्य मार्ग पर सब चलें, दशमी भाव अनंत।
राम धर्म पर थे रहे, उत्तम उनके काज,
पिता वचन के मान को, छोड़ चले थे राज।
सीता को हर लंका चला, रावण मद में चूर,
सोने की लंका जली, परिवार हुआ दूर।
माया फैली युद्ध में, रावण का था जाल,
राम लखन ने सत्य से, काटी हर इक चाल।
पर्व दशहरा कह रहा, चलो सत्य की राह,
धर्म मर्म लेना समझ, जीवन भर उत्साह।
संजीव कुमार भटनागर