- संजीव कुमार भटनागर
धनु राशि छोड़कर
मकर में दिनकर
उत्तरायन से अब
दिन बढ़ते चले|
धरती सज गयी है
हरियाली छा गयी है
खग विहग चहके
सरसों पुष्प फले|
शीत कम होती जाती
धूप सभी को सुहाती
मकर संक्रांति को
खिचड़ी स्वाद खिले|
ऋतु बसंत आयी है
उमंग मन छायी है,
नभ पतंग से भरा
रेवड़ी लड्डू मिले|