कानपुर। समाज सेवा में अग्रणी भूमिका का निर्वाह करने वाले तथा सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाले व्यापारी बंधुओ को सरकारी निगमों में व अन्य महत्तवपूर्ण सरकारी संस्थानों में वैश्य समाज के लोगों को विधान परिषद/राज्य सभा में 10 प्रतिशत की भागेदारी निश्चित करनी चाहिए। यही नही आर्थिक अपराध के मामले में हिरासत लिए गए कर दाताओं को हथकड़ी नहीं लगानी चाहिए तथा कारागार में उन्हें हत्या एवं दुष्कर्म जैसे घृणित मामलों के अपराधियों के साथ नहीं रखा जाना चाहिए। उपरोक्त विचार सोमवार को वैश्यम एकता परिषद की राष्ट्रीैय कार्यसमिति की बैठक में सभी पदाधिकारियों ने एक स्वंर व्यतक्तय किए। सभी सदस्यों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में वैश्य बंधुओं पर होने वाले उत्पीडन और असहयोग को रोकने के लिए कमेटियों का गठन करें लेकिन राजनैतिक क्षेत्र में भी लोगों की हिस्सेदारी के साथ ही सरकार को राजस्व बढे। बैठक की अध्यक्षता करने वाले डा. सुमन्त गुप्ता ने कहा कि सर्वाधिक उपेक्षित होने के कारण इसी वर्ग का आर्थिक शोषण व उत्पीड़न किया जा रहा है जिससे राजनैतिक क्षेत्र में हिस्सेदारी व भागीदारी नगण्य होती जा रही है।वहीं संस्थाग के राष्ट्री य कार्यवाहक अध्यजक्ष नरेश महेश्वेरी ने अपने वक्तहव्यज में कहा कि राष्ट्र के विकास में राजस्व के माध्यम से सर्वाधिक योगदान करने वाला वैश्य समाज है, तथा रोजगार के साधन भी मुहैया प्राथमिकता के आधार पर कराता है। उत्तर प्रदेश में वैश्य समाज की आवादी १६ प्रतिशत है, जिसमें वैश्य समाज के सात उपवर्ग विद्यमान हैं। भाजपा सांसद मा० बृजलाल की अध्यक्षता में गृह मंत्रालय की एक समिति ने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहित (बी.एन.एस.एस. २०२३) के प्रस्वावित विधेयक की धारा ४३ (३) हथकड़ी का उल्लेख है जबकि हथकड़ी लगाने के अपराध घृणित अपराधों में पकड़े गए लोगों के लिए होता है। समिति का विचार है आर्थिक अपराधों इस श्रेणी में सम्मिलत नही किया जाना चाहिए। बैठक में राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था में घरेलू व्यापार का ७० प्रतिशत योगदान पर चर्चा की गयी । जिसमें खुदरा व्यापार भारत का सबसे बड़ा निजी उद्योग बताया गया देश के समस्त घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में लगभग ६० प्रतिशत का योगदान है। देश का रिटेल व्यापार लगभग १२ लाख करोड़ रूपया है। रिटेल की लगभग ५.१० करोड़ से भी अधिक छोटी-बड़ी दुकानें हैं। देश में ब्राण्डेड रिटेल मार्केट ६.५ अरब डॉलर का है। इस व्यापार में करोड़ों लोग कामगार के रूप में कार्यरत हैं। असंगठित क्षेत्र का ६० प्रतिशत रिटेल बाजार रिटेलरों के पास है। केन्द्र व प्रदेश सरकार से व्यापार व उद्योग से संबंधित मांग पत्र
(a) जीएसटी प्रणाली में पेनाल्टी के साथ-साथ सजा का भी प्रावधान किया गया है, जो किसी भी दृष्टि से न्याय संगत नहीं है, मांग है कि सजा के प्रावधान को समाप्त किया जाये। छोटे, मध्यम व मझोले व्यापारियों को सर्वे, छापे से मुक्त रखा जाये व जीएसटी को ईडी से न जोड़ा जाए।
(b) जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों को दस लाख रूपये का बीमा सरकार द्वारा सुनिश्चित किया गया है। मुख्यमंत्री व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना जो वाणिज्यकर विभाग उत्तर प्रदेश में लागू है। दुर्घटना में मृत्यु अथवा हत्या पूर्ण विकलांगता व आंशिक विकलांगता को अंकित किया गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि इस बीमा योजना में गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, हार्टअटैक, लिवर आदि को भी जोड़ा जाना चाहिए। गंभीर बीमारियों के इलाज का खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए। बैठक् में मुख्य रूप से संस्था के अजय गुप्ता , स्वतन्त्र अग्रवाल, पंकज गुप्ता ,सुरेश गुप्ता , वन्दना गुप्तां, रवि गुप्ता के साथ किशन केसरवानी आदि सदस्य मौजूद रहे।