September 8, 2024

संवाददाता।
कानपुर। नगर में एक हैरत में डाल देने वाली घटना सामने आई है। यहाँ पर एक युवक ने कोर्ट में पहुँचकर अपनी पत्नी पर ट्रांसजेंडर होने का आरोप लगाकर तलाक की गुहार जज से लगाई। युवक ने अपनी याचिका में लिखा है कि शादी के बाद से पत्नी टच नहीं करने देती थी। जब डॉक्टरों को दिखाया तो सामने आया कि पत्नी के बॉडी के कई पार्ट डेवलप ही नहीं हुए हैं। इतना ही नहीं, उसको गंजापन भी है। इसलिए हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-12 के तहत शादी शून्य यानी अमान्य की जाए। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए महिला की जांच के लिए 5 डॉक्टरों के पैनल से कराने आदेश दिया है। शास्त्री नगर निवासी एक व्यक्ति ने फैमिली कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इसमें उसने कहा कि मेरी शादी दो वर्ष पहले यानी 27 अप्रैल 2021 को हुई थी। शादी के बाद से पत्नी मुझे अपने पास नहीं आने देती थी। इसके बाद हमने कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। युवक ने पत्नी की मेडिकल रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपी है। 25 अगस्त को फैमिली कोर्ट की अपर प्रधान न्यायाधीश शगुन पंवार ने याचिका पर सुनवाई की। इसके बाद सीएमओ को पत्र लिखा। कोर्ट ने यह जानकारी मांगी है कि चिकित्सा पद्धति के अनुसार, स्त्री के स्त्रीत्व के लिए किन-किन लक्षणों की शारीरिक संरचना में आवश्यकता होती है। क्या प्रस्तुत वाद की प्रतिवादिनी संबंधित में स्त्रीत्व के लिए शारीरिक संरचना में सभी लक्षण है। यदि नहीं तो कौन-कौन से हैं और उसका क्या प्रभाव है। इसके साथ ही कोर्ट ने सीएमओ को आदेश दिया है कि 5 एक्सपर्ट डॉक्टर का पैनल बनाकर महिला की जांच कराई जाए। कोर्ट के आदेश पर सीएमओ ने 5 सितंबर जांच कमेटी गठित की। इसमें कांशीराम हॉस्पिटल की डॉ. रश्मि शर्मा, डॉ. नवनीत दुबे, डॉ. सोनल जैन, डीजीओ एएचएम चिकित्सालय डॉ. आशा देवी और उर्सला की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनीता सिंह शामिल हैं। दूसरी तरफ, युवक ने ससुरालियों के खिलाफ भी धोखाधड़ी करके शादी करने का आरोप लगाया है। इसकी 18 जून 2021 काकादेव थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। मामले की जांच कर रहे दरोगा ने बगैर मेडिकल रिपोर्ट के फाइनल रिपोर्ट लगा दी है। पीड़ित ने कोर्ट में एफआईआर को चैलेंज किया है। केस की जांच के दौरान बगैर मेडिकल रिपोर्ट आरोपी पक्ष को क्लीन चिट देने पर दरोगा भी जांच के घेरे में आ गए हैं।मामले की पैरवी कर रहे वकील प्रणव ने बताया, हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत, नपुंसकता धारा 12(1 ए) के तहत विवाह को शून्यकरणीय कर देती है। यदि विवाह के समय दोनों में से कोई एक पक्ष नपुंसक था, तो नपुंसकता के आधार पर दावा किया जा सकता है। इस मामले में भी फैमिली कोर्ट में वाद दायर करते हुए विवाह को शून्य करने की मांग की गई है। उन्होंने बताया कि युवक ने कानपुर के तीन चिकित्सक डॉ. नीना गुप्ता, डॉ. रेनू भाटिया और उफरिन अस्पताल की डॉ. पीयूषा पंकज की मेडिकल रिपोर्ट को आधार बनाते हुए केस दायर किया है। इसी को आधार मानकर कोर्ट ने सीएमओ पैनल गठित करके जांच करने का आदेश दिया है। वहीं, दूसरी तरफ विवेचक की भूमिका भी इसी मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर संदिग्ध हो गई है। क्योंकि उसने पूरी जांच रिपोर्ट में कोई भी मेडिकल रिपोर्ट नहीं लगाई है।

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