संवाददाता।
कानपुर। नगर में आये दिन धर्मांतरण के मामले सामने आ रहे है। मिशनरियों का धर्मांतरण कराने का पैटर्न एक ही है। ये सिंडीकेट सिर्फ गरीब बस्तियों को ही टारगेट कर रहा है। आर्थिक रूप से कमजोरों को सबसे पहले 30 से 50 हजार कैश, इसके बाद उनके घर में बीमार व्यक्ति का इलाज, शादी, फिर रहने की व्यवस्था और इसके बाद बच्चों को मिशनरी स्कूल में मुफ्त शिक्षा का झांसा देते है। उन्हें वीडियो और साहित्य के जरिए मोटीवेट करके बताया जाता है कि ईसाई बनते ही रातों-रात लाइफ स्टाइल बदल जाएगी। इस तरह से परिवार को झांसे में लेकर हिन्दू से ईसाई बनाते हैं। इसके बाद उन्हें भी अपने धर्म प्रचार में लगाकर दूसरों को धर्मांतरण के लिए मोटीवेट करते हैं। इनके लिए धर्मांतरण का काम कराने वालों को भी यह प्रत्येक महीने 10 से 30 हजार तक की सैलरी समेत अन्य सुविधाएं देते हैं। पुलिस ने रविवार को एक युवक की शिकायत पर दो लोगों को खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करके जेल भेज दिया। पुराना कानपुर रामचंद्र चौराहा निवासी अमन कुमार गौतम की तहरीर पर नवाबगंज पुलिस ने धर्मांतरण मामले में कार्रवाई की है। अमन ने बताया कि शास्त्री नगर निवासी शोभित डेनियल और विष्णुपुरी श्रमिक कॉलोनी में रहने वाले शोभित ने सरकारी श्रमिक कॉलोनी को ही अवैध रूप से चर्च बना दिया है। दोनों ने प्रार्थी के पिता को बहला-फुसला कर कहा कि अगर तुम चर्च आकर रोजाना प्रार्थना करोगे तो तुम्हारे सारे दुख दर्द और परेशानियां दूर हाे जाएंगी। तुम्हें धर्म परिवर्तन करके ईसाई बनते ही 50 हजार रुपए, रहने को घर, पिता के इलाज का पूरा खर्च चर्च की तरफ से उठाया जाएगा। इसके साथ ही होली वाटर दिया गया। कहा गया कि इसे रोजाना आंखों में लगाओगे तो प्रभू ईशू की नेमत बरसेगी। नवाबगंज पुलिस ने शोभित डेनियल और शोभित के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध के तहत रिपोर्ट दर्ज करके दोनों को गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया। घाटमपुर, चकेरी, रावतपुर, कर्नलगंज और कोहना के बाद अब छठीं रिपोर्ट नवाबगंज थाने में दर्ज हुई है। हर बार की तरह विष्णुपुरी के श्रमिक कॉलोनी में बनी चर्च में भी सैकड़ों लोगों को बुलाकर रुपए, नौकरी, शादी, इलाज का लालच देकर ईसाई बनने के लिए मोटीवेट किया जा रहा था। नवाबगंज पुलिस ने छापेमारी करके पकड़ा तो पूरे खेल का खुलासा हुआ। पुराना कानपुर के रहने वाले अमन गौतम का परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है। अमन पर परिवार के लोगों ने उसकी और परिवार की बेहतरी का दावा करते हुए ईसाई बनने का प्रस्ताव रखा तो वह बागी हो गया। उसने परिवार से खिलाफत करते हुए विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के पदाधिकारियों को पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद नवाबगंज थाने में तहरीर देकर धर्मांतरण कराने वाले ठेकेदारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। इन सभी केसों में पुलिस की जांच में सामने आया कि धर्मांतरण के लिए कहीं न कहीं से फंडिंग की जा रही है। जिससे लोगों को रुपए देकर धर्मांतरण करने से लेकर उन्हें मोटीवेट किया जाता है। इससे पहले चकेरी में कोरियन धर्मांतरण कराते पकड़े गए थे। जांच में सामने आया था कि उनके पास से विदेशी फंडिंग हाे रही है। धर्मांतरण और प्रचार प्रसार के लिए करोड़ों रुपए फंडिंग करने वाले विदेश में बैठकर पूरा सिंडीकेट चला रहे हैं। खुले आम लोगों को ईसाई बनाने के लिए प्रार्थना सभा समेत अन्य प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन पुलिस सिंडीकेट के पीछे कौन लोग हैं, कैसे पूरा सिंडीकेट ऑपरेट हो रहा है। इसका खुलासा आज तक नहीं कर सकी है। धर्मांतरण के खेल में निचले पायदान पर काम कर रहे लोगों को जेल भेजकर अपना पल्ला झाड़ लेती है।