June 20, 2025

संवाददाता
कानपुर।
नजीराबाद थानाक्षेत्र में 7 साल पहले दर्ज बलवा व मारपीट मामले में गैंगस्टर जयकांत बाजपेई व उसके तीनों भाइयों को कोर्ट ने बरी कर दिया है, हालांकि अभी कई मामलों में वह जेल में ही रहेगा। जय बाजपेई बिकरू कांड में आरोपी है और वर्ष 2020 से कानपुर देहात जेल में बंद है। कुख्यात विकास दुबे के साथी जय बाजपेई को कोर्ट गैंगस्टर के मामले में सजा सुना चुकी है।जय बाजपेई पर एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं।
नजीराबाद थाने के दरोगा दिनेश कुमार त्रिपाठी ने 15 मार्च 2018 को रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि 14 मार्च की रात हर्ष नगर में सौरभ भदौरिया व रजत बाजपेई में आपस में विवाद हो गया था। दोनों पक्षों के लोगों ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसके बाद एक घायल विशाल कोरी को होमगार्ड तेज प्रताप के साथ मेडिकल के लिए भेजा गया था।
होमगार्ड ने बताया कि रेलवे क्रासिंग के पास दो पक्ष एक–दूसरे पर ईंट पत्थर चला रहे हैं। जिससे भगदड़ मच गई, इस दौरान फायदा उठा कर विशाल भाग निकला।
मौके पर पहुंचे दिनेश त्रिपाठी ने देखा कि दोनों पक्ष ईंट–पत्थर चल रहे थे। दरोगा ने अनिल सोनकर, सौरभ भदौरिया, अजय प्रताप, सरतेंदु भदौरिया, रजयकांत, अजयकांत, जयकांत, शोभित बाजपेई व पवन गुप्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।
पुलिस ने मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। मुकदमे में जयकांत व उसके भाई रजयकांत, अजयकांत व शोभित बाजपेई ने जमानत कराने के बाद अपनी फाइल अलग करा ली थी। 8 दिसंबर 2023 को चारों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। अभियोजन पक्ष की ओर से मामले में 12 गवाह कोर्ट में पेश किए गए थे, जिसमें 5 गवाह प्रत्यक्षदर्शी थे।
एसीजेएम प्रथम अभिनव तिवारी की कोर्ट ने सबूतों के अभाव व गवाहों के बयानों के आधार पर चारो भाईयों को दोष मुक्त करार दिया। गवाहों के बयानों में विरोधाभास व विवेचना में कमियों के कारण आरोपियों को फायदा मिला। हालांकि आरोपी जयकांत बाजपेई के बिकरू कांड से जुड़े होने के कारण अभियोजन ने मामले में पूरी ताकत झोंक दी थी।
कोर्ट विटनेस के रूप में होमगार्ड तेज प्रताप ने बयान में कहा कि विशाल कोरी को लोग पथराव कर छुड़ा कर ले गए, लेकिन एफआईआर में कहा गया कि भगदड़ का फायदा उठा कर आरोपी विशाल फरार हो गया।
होमगार्ड ने बयान में कहा था कि आरोपी मौके पर मौजूद थे, जबकि जिरह के दौरान कहा कि अंधेरा होने की वजह से वह आरोपियों को पहचान नहीं सका। वहीं रिपोर्ट दर्ज कराने वाले दरोगा ने आरोपियों को पहचानने से इंकार कर दिया था।