July 15, 2025

—सौ करोड़ से ऊपर का टेंडर रसूख से किया हासिल।

आ स. संवाददाता

कानपुर। उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम कार्यदायी संस्था का भ्रष्टाचारी अधिशाषी अभियंता कर्मचारी जिसके ऊपर तालाब बिना खुदे करोड़ों का भुगतान सहित अनेकों भ्रष्टाचार में लिप्त होने की जांच निरंतर जारी हैं। साथ ही जिसकी शैक्षिक योग्यता पर भी प्रश्न चिन्ह लगे है वो सेवानिवृत्ति के करीब होते हुए भी शासन में अपनी दखलअंदाजी रसूखदार तरीके से अभी भी कर रहा है। वह अगले दो महीने में भले ही अपने पद से रिटायर हो रहा हो लेकिन अपने रसूख के चलते वह करोड़ों का काम लेने से चूकता नहीं दिखाई दे रहा। हाल ही में उसने महोबा जैसे छोटे जिले के उद्धार के नाम पर लगभग 28 करोड़ के टेंडर प्रक्रिया के लिए बजट स्वीकृत करवा लिया है। जिसमें महोबा में जुआर मार्ग से ग्राम गंज तक सीसी रोड का 7 करोड़ 48  लाख, ग्राम गंज से गुगौरा मार्ग तक सीसी रोड का 8 करोड़  07 लाख, जुझार से कबरई कुमेहता मार्ग तक सीसी का 12 करोड़ 25 लाख कार्य है। हालांकि उसकी जांचों और शिकायतों के चलते यह उस योजना की प्रक्रिया का महज 20 प्रतिशत ही कार्य दिया गया है। 

उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम में कार्यरत राजीव त्रिपाठी अपने रसूख के चलते शासन और प्रशासन को गुमराह करने में कोई कोर कसर छोड़ते नहीं दिखाई देता। राजीव त्रिपाठी लघु उद्योग निगम  में कार्यरत है लेकिन वह पैसे कमाने में किसी बिजनेस टाइकून को भी पीछे छोड़ने में गुरेज नहीं करता, उसने लघु उद्योग निगम में कार्य करते हुए भ्रष्टाचार से इतना पैसा कमा लिया है कि शहर के सबसे महंगे अपार्टमेंट रतन ऑर्बिट में 1.5 करोड़ का फ्लैट खरीदा था जो उसके बाहर से आने वाले व्यापारी वर्ग की ऐशगाह है जिसके मेंटिनेंस में लगभग 50 लाख खर्च किये गये थे। यही नहीं शेख नाम से उपाधि प्राप्त करने वाले राजीव ने दुबई में अपने बेटे को चावल का कारोबारी बना दिया। जिसके लिए उसने काकादेव में एक्सपोर्ट का कार्यालय भी खोल लिया है, जिसे बेटा संचालित करता है।लघु उद्योग निगम के मुख्यालय में बीते कुछ ही साल में पूर्व संविदा कर्मचारी के पद पर नियुक्त कुछ रुपए रोजनदारी से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले संविदा कर्मी डिप्लोमाधारी इंजीनियर से नियमों के विपरीत अधिशाषी अभियंता बनकर करोडों की कमायी अर्जित करने वाले एक कर्मचारी की इतनी हैसियत बढ गयी, कि उसने विदेशों में चावल का निर्यातक होने का तमगा हासिल कर लिया। 

महोबा के विधायक ने स्ट्रीट लाइटों के भ्रष्टाचार में लिप्त राजीव की शिकायत शासन में की थी, उसकी भी जांच अभी तक जारी है। इतनी जाँचे चलने के बावजूद महोबा से सौ करोड़ से अधिक के कार्य पर आधिपत्य बना दिया है जिसमें से 20 प्रतिशत कार्य का वर्क ऑर्डर भी जारी हो गया है। इतने करोड़ का काम अपने नाम स्वीकृत करवाना उसका रसूखदार होना दर्शाता है।राजीव की काली कमाई का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उसने मुंबई जैसे बड़े शहर में करोड़ों का होटल खोल लिया था। और दुबई जाकर कारोबार की शुरुआत कर दी थी। अपनी ऊंची रसूख और पैसे के दम पर राजीव अभी भी विभाग में प्रभारी अधिकारी बनकर कार्यरत है।