
आ स. संवाददाता
कानपुर। बीते कई सत्रों में अपने लचर प्रदर्शन को दोहरा रही प्रदेश की क्रिकेट टीमों को प्रदेश के ही पूर्व खिलाडी अपना प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। अगले घरेलू सत्र के लिए यूपीसीए ने अपनी टीमों के प्रशिक्षण के लिए अपने ही पूर्व क्रिकेटरों को शामिल करने का निर्णय किया है।ये नियम प्रदेश की सभी आयु वर्ग की टीमों के लिए लागू किया जाएगा।
यूपीसीए के सूत्र बतातें हैं कि संघ ने अपनी सीनियर पुरुष टीम के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी अपने सबसे सफल कोचों में से एक और भारत के पूर्व स्टार खिलाड़ी ज्ञानेंद्र पांडे को सौंपे जाने का निश्चय किया है। पूर्व खिलाडी 2 अप्रैल से कमला क्लब मैदान पर शुरु हो रहे 10 दिवसीय ऑफ-सीजन कैंप के लिए खिलाडियों को प्रशिक्षित करने का काम करेंगें।सूत्रों के मुताबिक ज्ञानेन्द्र पांडे के अलावा, पूर्व कप्तान और तेज गेंदबाज अंकित राजपूत सहित कुछ अन्य उल्लेखनीय क्रिकेटर भी कमला क्लब मैदान के शिविर में प्रशिक्षण देते नजर आएंगे।
2024-25 के घरेलू सत्र के खत्म होने से कुछ महीने पहले ही यूपी के पूर्व कप्तान और कोच पांडे को पुरुष टीम का निदेशक नियुक्त किया गया और वह टीम के दृष्टिकोण में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने में सफल रहे। संभवतः पहली बार इस ऑफ-सीजन कैंप की योजना गाजियाबाद के यूपीसीए की क्रिकेट विकास समिति के अध्यक्ष राकेश मिश्रा ने ही बनाई और जूनियर क्रिकेट सत्र के खत्म होने के कुछ ही हफ्तों बाद कानपुर में अंडर-19 खिलाड़ियों का ऑफ-सीजन कैंप आयोजित किया जाएगा दरअसल, 2005-06 में अपना पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने वाला उत्तर प्रदेश इसके बाद कभी भी खिताब जीतने पर सफल नहीं हो सका इसके लिए संघ ने कई बाहरी लोगों को कोच के तौर पर मोटी तनख्वाह पर रखा था। इसका ताजा उदाहरण भारत के पूर्व क्रिकेटर सुनील जोशी हैं, जिनके मार्गदर्शन में सीनियर टीम का प्रदर्शन तीन सत्रों में बद से बदतर यानी दयनीय ही रहा।
यूपीसीए के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया अगर यूपी राजिंदर सिंह हंस की कोचिंग में 2005-06 में अपना एकमात्र रणजी ट्रॉफी खिताब जीत सका, तो ज्ञानेंद्र पांडे की कोचिंग में टीम ने हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया और कई बार सेमीफाइनल और फाइनल में जगह बनाई। उन्होंने कहा हमेशा अपने यूपी के क्रिकेटरों जैसे ज्ञानेंद्र पांडे, एडब्ल्यू जैदी, रिजवान शमशाद, ओबैद कमाल, मनोज मुदगल आदि की सेवांए लेनी चाहिए जिससे खिलाडियों को आत्मीय लगाव का अहसास भी होता रहे। सभी को टीमों की कोचिंग सहित विभिन्न जिम्मेदारियों के लिए शामिल किया जाना चाहिए। कूच बिहार ट्रॉफी के सेमीफाइनल में यूपी की हार हुई, जबकि वे वीनू मांकड़ ट्रॉफी के नॉकआउट के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहे। हालांकि, अलग-अलग ऑफ-सीजन कैंपों के लिए यूपी के पूर्व क्रिकेटरों को शामिल करने से कथित तौर पर ‘मेरठ गैंग’ नाराज है, क्योंकि यह उनकी पक्षपातपूर्ण योजना के अनुकूल नहीं है, लेकिन यूपीसीए के भीतर सही लोग इससे प्रभावित नहीं हैं और बेहतर भविष्य के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। क्रिकेट विकास के लिए नियुक्त किए अधिकारियों की मंशा है कि घरेलू सर्किट में राज्य क्रिकेट टीमों के स्तर को ऊपर उठाने का यही एकमात्र तरीका है और इसके बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती दिखायी दे रही है। यूपीसीए के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य भर में खिलाड़ियों का पंजीकरण युद्धस्तर पर किया जा रहा है और पंजीकरण की अंतिम तिथि भी दो दिन के लिए बढ़ा दी गई है। समयबद्ध प्रक्रिया के पीछे का विचार पहले से ही प्रतिभाओं का एक समूह तैयार करना और उन्हें नियमित प्रशिक्षण प्रणाली में शामिल करना है ताकि वे नए सत्र की शुरुआत में मैच के लिए तैयार किए जा सके।