
आ स. संवाददाता
कानपुर। गंगा के किनारे पर स्थित भैरव मंदिर का बहुत पुराना इतिहास है। इस मंदिर में बटुक कालभैरव की मूर्ति की स्थापना तुलसीदास जी ने की थी। यहां पर जिस शमी वृक्ष के नीचे बैठकर तुलसीदास जी पूजा करते थे, वह वृक्ष आज भी यहां मौजूद है।
आज भी यहां पर हजारों की संख्या में भक्त भैरव बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं। ये मंदिर कानपुर के वीआईपी रोड में गंगा के किनारे स्थित है। ये मंदिर ऐसा पहला मंदिर है, जहां पर भैरव बाबा के 8 स्वरूप हैं।
मंदिर के महंत सुमेर दास जी बताते हैं कि इस मंदिर से जुड़ी कई खास बातें हैं। पहला ये कि यहां पर भैरव बाबा के उत्तर दिशा में गंगा की निर्मल धारा बह रही हैं। इसके साथ ही महाकाल का दरबार भी मंदिर परिसर से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि यहां पर जो शमी वृक्ष है उसके नीचे बैठकर तुलसीदास जी पूजा अर्चना करते थे। इसकी खास बात ये है कि यहां पर जो बरगद का पेड़ है उसी से शमी वृक्ष निकला हुआ है।
सुमेर दास बताते है कि बटुक महाराज की यह मूर्ति अंग्रेजों ने गंगा में फेंक दी थी। इसके बाद बटुक महाराज ने यहां के लोगों को सपना दिया कि उनकी मूर्ति गंगा में काफी गहराई में है। इसके बाद लोगों ने गंगा से मूर्ति निकाल कर दोबारा स्थापित की थी ।
इस प्राचीन भैरव मंदिर के दर्शन करने देश-विदेश से भक्त आते रहते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी यहां दर्शन करने के लिए आ चुके हैं। प्रत्येक रविवार को यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर में रोज 8 बार काल भैरव को मदिरा का भोग लगाया जाता है।