February 7, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर। 
नगर या आसपास के किसी भी जिले में कोई घटना होती है तो ऐसे में मरीजों को प्राथमिक उपचार देकर दूसरे सरकारी अस्पताल या फिर मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है। कभी-कभी मरीज की रास्ते में ही जान चली जाती है। कभी कभी जब तक मरीज अस्पताल पहुंचता है, और डॉक्टर उसके मर्ज को समझते है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
इसी समस्या का समाधान सरकार ने खोजा है और ट्रॉमा पोर्टल की शुरुआत करने जा रही है। ये पायलट प्रोजेक्ट कानपुर बुंदेलखंड के सभी मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में चलाया जाएगा। इसको लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है।
इस पायलट प्रोजेक्ट का नोडल सेंटर कानपुर को बनाया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से कानपुर और बुंदेलखंड के सभी मेडिकल कॉलेज आपस में जुड़े हुए है। अगर कहीं पर कोई हादसा होता है तो पहले मरीज को पास के अस्पताल में प्राथमिक उपचार दिया जाएगा। इसके बाद यदि हालत गंभीर है तो फिर उसे किसी बड़े सरकारी अस्पताल या मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाएगा।
इस पोर्टल में ये सुविधा है कि अगर मरीज को रेफर किया जाता है तो मेल या एसएमएस के माध्यम से संबंधित अस्पताल को ये बता दिया जायगा कि मरीज को क्या दिक्कत है, क्या मेडिकल कंडीशन है, कितनी चोट है और उसे किस तरह के इलाज की जरूरत है। 

इसके साथ ही उस पोर्टल पर सब कुछ अपडेट करना होगा। इससे यह सुविधा होगी कि जब तक मरीज बड़े सरकारी अस्पताल पहुंचेगा तब तक वहां उसके इलाज की पूरी तैयारी हो चुकी होगी।
कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने बताया कि इस पोर्टल के माध्यम से सबकी जवाबदेही भी तय होगी। अगर मरीज देर से भेजा गया या फिर बिना जरूरत के भेजा गया तो उसका भी स्पष्टीकरण संबंधित अस्पताल को देना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि सरकार का यह पायलट प्रोजेक्ट फिलहाल कानपुर बुंदेलखंड में चल रहा है, जिसका नोडल सेंटर कानपुर है। अभी इस पोर्टल का कोई आधिकारिक नाम नहीं है, लेकिन फिलहाल इसको ट्रॉमा पोर्टल कहा जा रहा है। डॉ. काला के अनुसार यह प्रोजेक्ट जल्द ही पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।