February 5, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर। गंगा और पांडु नदी में गिर रहे अनटैप्ड नालों का  जैविक विधि से शोधन किया जायगा । महाकुंभ मेला 2025 के शुरू होने से पहले उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम मिलकर अनटैप्ड नालों की जांच करके इसकी रिपोर्ट शासन स्तर तक भेजेंगे।

यूपीपीसीबी ने नालों से गिर रहे पानी की जांच करने के लिये नगर निगम अधिकारियों को नामित करने के लिये कहा है। दोनों ही विभाग मिलकर टैप्ड होने के बाद भी ओवरफ्लो होकर गंगा में गिर रहे नालों का भी औचक निरीक्षण करेंगे, ताकि गंगा को दूषित होने से बचाया जा सके।
प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुम्भ जनवरी और फरवरी 2025 तक चलेगा। इस दौरान गंगा नदी के जल की शुद्धता बनाए रखने के शासन ने निर्देश दिये हैं। कानपुर में इसके बावजूद नालों का सीवेज गंगा नदी और सहायक पांडु नदी में जा रहा है। यूपीपीसीबी के अनुसार कानपुर नगर में 6 अनटैप्ड सीवेज नाले रानीघाट नाला, गोलाघाट नाला, सत्तीचौरा नाला, डबका नाला, मदारपुर नाला, किशनपुर नाला व आंशिक रूप से टैप्ड और ओवरफ्लो 2 नाले परमिया, गुप्तारघाट नाला गंगा नदी में सीधे मिल रहा है।
इसके साथ ही गंगा नदी की सहायक पांडु नदी में 3 अनटैप्ड सीवेज नाले पिपौरी नाला, अर्रा नाला, सागरपुरी नाला व आंशिक रूप से टैप्ड व ओवरफ्लो 3 नाले हलवाखाड़ा  नाला, पनकी थर्मल नाला, गन्दा नाला गिर रहा है।
शासन ने सभी नालों में बायोरेमिडियेशन का कार्य करने के निर्देश दिये हैं। यूपीपीसीबी ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि बायोरेमिडियेशन का कार्य हर हाल में शुरू होना है, जहां बायोरेमिडियेशन हो रहा है वहां जांचने की जरूरत है कि नियमानुसार जैविक विधि का पालन हो रहा है कि नहीं।
नालों में हो रहे बायोरेमिडियेशन कार्य में जैविक उपचार से पहले व बाद में जल नमूना टीम एकत्र करेगी। ताकि पता चल सके कि बायोरेमिडियेशन के पहले और बाद में पानी में क्या अंतर आ रहा है। 

नगर निगम की कार्यदायी संस्था के द्वारा नालों के जैविक शोधन कार्य में लगातार लापरवाही बरती जा रही है, जिससे गंगा नदी दूषित हो रही है।