April 18, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर।  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहनों के लिए एक प्रणाली के रूप में उन्नत रिमोट पायलटिंग ट्रैनिंग मॉड्यूल और सॉफ्टवेयर-इन-द-लूप सिम्युलेटर विकसित करने के लिए भारतीय सेना के मुख्यालय मध्य कमान के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस सहयोग का उद्देश्य उन्नत सिमुलेशन प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके भारतीय सेना की प्रशिक्षण क्षमताओं को बढ़ाना, दक्षता में सुधार करना, लागत कम करना और जोखिम को न्यूनतम करना है।

मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और आईआईटी कानपुर के संकाय सदस्यों एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डॉ. जीएम कामथ और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुब्रह्मण्यम सदरला की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

इस मौके पर बोलते हुए आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा कि भारतीय सेना के साथ यह सहयोग एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और सिमुलेशन में हमारी विशेषज्ञता को दर्शाता है, जिससे अगली पीढ़ी के प्रशिक्षण प्रणालियों के विकास को सक्षम बनाया जा सके। हमारे मजबूत अनुसंधान आधार और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ, आईआईटी कानपुर ड्रोन प्रौद्योगिकी के लिए एक अग्रणी केंद्र बनने के लिए प्रतिबद्ध है, जो रक्षा और एयरोस्पेस नवाचार में भारत की आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाएगा।

तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से बताते हुए आईआईटीके के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुब्रह्मण्यम सदरला ने बताया कि आरपीटीएम और एसआईटीएल मॉड्यूल ऑपरेटरों को ड्रोन उड़ाने और प्रबंधित करने का प्रशिक्षण देने के लिए वास्तविक दुनिया की स्थितियों का अनुकरण करेंगे, जिससे वास्तविक समय में महंगे अभ्यास की आवश्यकता कम होगी और सटीकता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी। सिम्युलेटर कई प्रकार के परिचालन परिदृश्यों को रिप्लिकेट करेगा, जिसमें टोही, निगरानी और सामरिक हमले शामिल हैं, तथा ऑपरेटरों को नियंत्रित आभासी वातावरण में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करेगा।

छह महीने के भीतर पूरा होने के लिए तैयार यह परियोजना रक्षा प्रौद्योगिकी विकास में सेना और शिक्षाविदों के बीच भविष्य के सहयोग के लिए आधार तैयार करती है। आईआईटी कानपुर में यूएवी प्रयोगशाला, वीयू डायनेमिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से इस पहल का नेतृत्व करेगी, जिसमें विकास दल में प्रोफेसर डा. सदरला और उनके छात्र नीतेश, सागर, किशोर, वामशी और अभिषेक शामिल हैं।