कानपुर। स्वर्ग में रहने वाले देवता चाहते हैं कि हमे मानव शरीर की प्राप्ति हो जाये। मनुष्य शरीर की इतनी प्रशंसा है। शरीर तो एक प्रत्यक्ष गुरु है जो हर समय व्यक्त्ति को उपलब्ध है। कथावाचक मंदाकिनी दीदी ने ये बातें रविवार को कानपुर सिविल लाइंस स्थित मर्चेट चेंबर सभागार में रामलीला सोसाइटी परेड की तरफ से आयोजित मानस प्रवचन के दौरान अपने कथा वाचन में कही।उन्होंने आगे कहा कि मानव देह ईश्वर की ऐसी अद्भुत रचना है। यदि हमारे पास दृष्टि हो तो हमें उससे उपदेश मिल सकता है।
हमारे सनातन धर्म में वेद श्रुति परम प्रमाण माने गये हैं। व्यावहारिक जगत में दृष्टि को ही प्रमाण माना गया है। न्यायालय में गवाही उसी दृष्टि को प्रमाण मानकरदी जाती है। पर अध्यात्म में दृष्टि नहीं श्रुति को महत्त्व दिया गया है। उसका सुन्दर दृष्टान्त शरीर से ही मिलता है। आँखों ने कहा कि में सबसे महत्त्वपूर्ण हूं। मैं जो देखें उसी को प्रमाणिक माना जाता है। पीछे से कानों ने कहा कि तुम्हारी दृष्टि की सीमा है। मैं तुम्हारे बाजू में ही खड़ा हूं पर तुम मुझे देख नहीं पाती तुम्हारी बातों को कैसे प्रमाणिक मानें। इसलिए हमारे सनातन परम्परा श्रुति परंपरा है।
शरीर में सिर को सबसे ऊपर स्थान दिया गया है और पद शरीर में सबसे नीचे स्थित हैं। शरीर रूपी गुरु से यह दूसरा महत्वपूर्ण संकेत मिलता है कि जब समाज में किसी को विशेष पद की प्राप्ति हो तो संकेत यह है कि उस पदाधिकारी का कार्य पूरी संस्था का दायित्व निभाना सबसे नीचे रहकर जैसे पद शरीर का भार उठाते हैं। यदि पद पाकर मद हो गया तो यह पद स्थायी नहीं रह पायेगा बल्कि पद का स्वभाव है, चलायमान रहना।
मनुष्य शरीर में प्राप्त कर्म, विवेक और विचार का सदुपयोग जो नहीं करता, उससे बड़ा अभागा कौन हो सकता है। इस कार्यक्रम में महेन्द्र मोहन, कमल किशोर अग्रवाल, राजीव गर्ग, पवन गर्ग, पवन अग्रवाल, राजीव अग्रवाल एवं आलोक अग्रवाल आदि भक्त लोग उपस्थित रहे।