December 7, 2025

संवाददाता
कानपुर।
आई लव मोहम्मद को लेकर जहां कानपुर से लेकर यूपी और देश-दुनिया में विवाद छिड़ा हुआ है। वहीं, दूसरी तरफ कानपुर में परेड ग्राउंड का सबसे बड़ा रावण का पुतला बनाने वाले सलीम ने हिन्दू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश की है। वो सीने में श्री राम की फोटो लगाकर बीते डेढ़ महीने से रावण, मेघनाथ और कुंभकरण का पुतला बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्री राम की तस्वीर लगाने से मुझे कोई एतराज नहीं…। हम सब हिंदू – मुस्लिम एक हैं । 
कानपुर में 148 साल पुरानी रामलीला परेड में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला तैयार करने वाले सलीम खान का कहना है, कि राजस्थान के हिंडोन सिटी से वो दशकों से अपनी टीम के साथ यहां आ रहे हैं। कभी भी यहां हिंदू-मुस्लिम जैसी भावना का आभास नहीं हुआ। मैं मुस्लिम होकर पुतले बनाता हूं और यहां की रामलीला कमेटी मुझे लगातार बुलाती है। मैं अपने 40 कारीगरों के साथ यहां पहुंचता हूं। करीब डेढ़ महीने पहले कानपुर आ जाता हूं। कमेटी की ओर से यहां रहने-खाने का पूरा इंतजाम किया जाता है। लगातार हम लोग मिलकर पुतलों को तैयार करते हैं।
सलीम जब पुतलों को तैयार कर रहे थे और उनकी देखरेख कर रहे थे, तो उनके सीने के बाएं तरफ रामलीला कमेटी का पहचान पत्र यानी कि बिल्ला लगा हुआ था, जिसमें भगवान श्री राम की तस्वीर बनी हुई थी। जब सलीम से पूछा गया कि आप मुस्लिम हैं और भगवान श्री राम की तस्वीर बिल्ले में है, जो आपकी शर्ट पर बाएं तरफ लगा है। तो झट से उन्होंने जवाब दिया की हर धर्म का सम्मान है। किसी बैनर लगाए जाने और किसी बिल्ले को सीने पर लगाए जाने से धर्म नहीं बदल सकता। हम सब हिंदू- मुस्लिम एक हैं । मुझे इससे कोई एतराज भी नहीं है, हम सब एक हैं।
कानपुर के परेड मैदान में दहन किया जाने वाले रावण की ऊंचाई 90 फीट है। सलीम खान ने बताया की एक बार ज्यादा ऊंचा रावण बनाने के चक्कर में 110 फीट की ऊंचाई रखी गई थी। तब रावण का पुतला भारी होने के चलते झुक गया था। जिसके बाद उसे क्रेन से रोक कर दहन किया गया था।
सलीम खान ने बताया की कुंभकरण, मेघनाथ और रावण का पुतला तैयार करने में समय तो लगता ही है । इसके बाद लाखों रुपए खर्च भी होते हैं। मजबूत कागज और लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। ताकि पुतले को घुमावदार बनाने और मोड़ने में कोई समस्या ना हो।