—मां बोली – वापस आ जाओ मेरे लाल।
आ स. संवाददाता
कानपुर। गुजरात के पोरबंदर में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में बलिदानी कैप्टन सुधीर यादव पंचतत्व में विलीन हो गए। बिठूर स्थित गंगा किनारे हिंदू रीति रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया। उनके चचेरे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी। बलिदानी कैप्टन सुधीर यादव का पार्थिव शरीर बुधवार की सुबह जैसे ही कानपुर देहात के मैथा स्थित किशनपुर पैतृक गांव पहुंचा, वैसे ही उनके अंतिम दर्शन के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। चारों तरफ सुधीर यादव अमर रहे के नारे गूंजने लगे, फिर पार्थिव शरीर की शव यात्रा दरवाजे से उठते ही माहौल काफी गमगीन हो गया। रास्ते भर शव यात्रा में मौजूद सैकड़ो लोग हाथों में तिरंगा झंडा लिए देशभक्ति के गानों पर कैप्टन को अंतिम विदाई देते हुए बिठूर घाट पहुंचे।
कैप्टन की पत्नी लगातार रोते हुए कहती रहीं अब हम आपके बिना कैसे जिएंगे? तो वहीं उनके माता-पिता को अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि उनका बेटा इस दुनिया को अलविदा कह चुका है। बिठूर घाट पर बलिदानी कैप्टन के पार्थिव शरीर को चिता पर लिटाने के बाद सेना के अफसरों ने ससम्मान सुधीर की टोपी, फ्लैग और बैच उनके पिता को सौंपकर जल और थल सेना के अधिकारियों ने गार्ड आफ ऑनर देकर जांबाज सिपाही को आखिरी सलामी दी।
गुजरात के पोरबंदर में रविवार की दोपहर भारतीय तटरक्षक बल का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में कानपुर के श्याम नगर में रहने वाले कैप्टन सुधीर यादव समेत तीन लोगों की जान चली गई थी।